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4 या 5 नंवबर आखिर कब है Dev Deepawali? जानें क्या है इसका पौराणिक महत्व और सही तारीख

Dev Deepawali 2025 Date: इस साल देव दिपावली को लेकर कंफ्यूजन है कि यह त्योहार 4 नंवबर को है या फिर 5 नंवबर को. इस खबर में जानें कि कब है यह पर्व और क्या है इसकी पौराणिक मान्यता.

Written By: shristi S
Last Updated: October 28, 2025 09:27:36 IST

Dev Deepawali Significance: देव दिपावली का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व होता है. जिसका मतलब होता है देवों की दिवाली. यह त्योहार दिवाली के 15 दिन बाद यानी कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मानया जाता है, ऐसे में लोगों के मन में यह कंफ्यूजन भी है कि इस साल यह पर्व 4 नंवबर को मनाया जाएगा या 5 नंवबर को. तो आइए इस कंफ्यूजन को दूर करते हुए देव दिपावली के सही तारीख और इस पर्व के पौराणिक महत्व के बारे में जाने. 

देव दीपावली का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देव दीपावली का सीधा संबंध भगवान शिव की त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजय से है. कहा जाता है कि जब त्रिपुरासुर नामक असुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाया, तब भगवान शिव ने उसे नष्ट कर संसार को उसके अत्याचारों से मुक्त किया. इस दिन देवताओं ने प्रसन्न होकर स्वर्ग से उतरकर दीप जलाकर भगवान शिव की स्तुति की तभी से इस पर्व को “देव दीपावली” कहा जाने लगा. इस दिन को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस रात देवता स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों के जीवन से अंधकार मिटाते हैं.

देव दीपावली 2025 की तिथि और समय

इस वर्ष देव दीपावली 2025 में 5 नवंबर, बुधवार के दिन मनाई जाएगी. द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर को रात 10:36 बजे शुरू होगी और 5 नवंबर को शाम 5:48 बजे समाप्त होगी. देव दीपावली का पूजन मुहूर्त प्रदोष काल में रहेगा शाम 5:15 से 7:50 बजे तक, कुल 2 घंटे 37 मिनट का शुभ समय पूजा-अर्चना के लिए उपलब्ध रहेगा.

 

 देव दीपावली की पूजन विधि (Pujan Vidhi)

देव दीपावली का उत्सव भक्ति और स्वच्छता का प्रतीक है. पूजा से पहले घर की पूरी सफाई की जाती है और स्थान को सुगंधित फूलों से सजाया जाता है.

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर गंगा या किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाएं.
  • घर में या मंदिर में घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • भगवान शिव और विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें.
  • शाम को घर, आंगन और मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलित करें.
  • इसके बाद शिव चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और अंत में आरती करें.
  • इस दिन दान और गंगा स्नान को अत्यंत शुभ माना जाता है.
 

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