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Modi Cabinet Decision on 8th Pay commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए इंतजार की घड़ियां अब खत्म हो चुकी हैं. केंद्र सरकार ने आखिरकार वह फैसला ले लिया है जिसकी प्रतीक्षा लाखों लोगों को लंबे समय से थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को औपचारिक मंजूरी दे दी गई है. इस आयोग का काम आने वाले महीनों में सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ी नीतियों की समीक्षा करना होगा.
कब गठित हुआ 8वां वेतन आयोग?
जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. अब इस पर औपचारिक आदेश जारी हो चुका है. यह आयोग अगले 18 महीनों में अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. माना जा रहा है कि इसकी सिफारिशें 2027 की शुरुआत से लागू की जा सकती हैं.
7वां वेतन आयोग कब लागू हुआ था?
अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था. उसी के बाद से सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में संशोधन उसी ढांचे के अनुसार किया जा रहा है. हर दस साल में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है ताकि कर्मचारियों की आमदनी महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत के अनुरूप बनी रहे.
कब से बढ़ेगी सैलरी?
सरकार की ओर से तय समयसीमा के अनुसार, 8वां वेतन आयोग यदि 18 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देता है, तो 2027 की शुरुआत से नए वेतनमान लागू होने की पूरी संभावना है. यानी कर्मचारियों को अपनी बढ़ी हुई सैलरी के लिए अभी लगभग एक साल से ज्यादा का इंतजार करना पड़ सकता है.
कितनी बढ़ेगी सैलरी?
अब सबसे बड़ा सवाल वेतन कितना बढ़ेगा? तो सूत्रों के मुताबिक, इस बार सरकार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को 2.46 के करीब रखने पर विचार कर रही है. याद दिला दें कि 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था. यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में करीब 30 से 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी संभव है.
DA और अन्य भत्तों में क्या बदलाव होगा?
हर वेतन आयोग के लागू होने पर सरकार डीए (महंगाई भत्ता) को शून्य कर देती है, क्योंकि नई बेसिक सैलरी में महंगाई का प्रभाव पहले से ही जोड़ दिया जाता है. वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को उनकी बेसिक सैलरी पर 55% DA मिल रहा है. जब 8वां वेतन आयोग लागू होगा, तो यह DA हट जाएगा और नया वेतनमान उसी के अनुसार तय होगा. इसका मतलब यह है कि कुल सैलरी में (बेसिक + DA + HRA) बढ़ोतरी सीमित दिखाई देगी, लेकिन नेट इनकम और क्रय शक्ति (Purchasing Power) में वास्तविक सुधार देखने को मिलेगा.