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Lord Vishnu Ekadashi Katha: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष स्थान है. साल में आने वाली चौबीस एकादशियों में देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) या प्रबोधिनी एकादशी का महत्व सबसे अधिक माना गया है. यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः आरंभ करते हैं. इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
देवउठनी एकादशी का महत्व
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत श्रद्धा और विधिपूर्वक करता है, उसे जीवन में सुख, सौभाग्य और धन-वैभव प्राप्त होता है. इस दिन श्री हरि विष्णु की पूजा, दीपदान और तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. देवउठनी एकादशी को चार महीने के चातुर्मास के बाद भगवान विष्णु का जागरण दिवस भी माना जाता है, इसलिए इसे शुभ कार्यों की शुरुआत का दिन भी कहा गया है.
देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन समय की बात है, एक राज्य में एक बहुत ही धर्मनिष्ठ और न्यायप्रिय राजा राज्य करता था. उसके शासन में सभी लोग धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे और हर एकादशी के दिन भगवान विष्णु का व्रत करते थे. उसी राज्य में एक बेरोजगार युवक काम की तलाश में आया. जब युवक राजा के दरबार में पहुंचा तो राजा ने उसे काम देने से पहले एक शर्त रखी कि हमारे राज्य में एकादशी के दिन कोई अन्न ग्रहण नहीं करता. यदि तुम यह नियम स्वीकार करते हो तो तुम्हें काम मिल जाएगा. युवक ने बिना सोचे समझे यह शर्त मान ली, व्रत के दिन युवक से भूख नहीं सहन हुई. उसने राजा से निवेदन किया कि उसे भोजन करने की अनुमति दी जाए. राजा ने उसे बहुत समझाया, पर जब वह नहीं माना तो राजा ने उसे मना नहीं किया. युवक स्नान करके भोजन बनाने लगा और जैसे ही भोजन तैयार हुआ, उसने भक्ति-भाव से कहा कि हे प्रभु विष्णु! आइए, आपके लिए भोजन तैयार है.
भक्त की सच्ची पुकार सुनकर स्वयं भगवान विष्णु उसके सामने प्रकट हो गए. उन्होंने अपने भक्त के हाथों से बना अन्न स्वीकार किया और उसके प्रेम से प्रसन्न होकर अदृश्य हो गए. कुछ समय बाद जब अगली एकादशी आई तो युवक ने राजा से दोगुना अन्न मांगा. राजा को यह सुनकर आश्चर्य हुआ. उन्होंने कारण पूछा तो युवक ने बताया कि महाराज! पिछली एकादशी को स्वयं श्री हरि मेरे घर भोजन करने आए थे. इस बार मैं उन्हें अधिक भोजन भेंट करना चाहता हूं. यह सुनकर राजा चकित रह गया और अगली एकादशी को वह स्वयं उस युवक के घर गया और छिपकर देखने लगा.
राजा को मिला ईश्वर के दर्शन का आशीर्वाद
राजा ने देखा कि जैसे ही युवक ने भगवान को पुकारा, उसी क्षण भगवान विष्णु पुनः प्रकट हो गए और भक्त के बनाए भोजन को ग्रहण किया. यह देखकर राजा भाव-विभोर हो गया और समझ गया कि भगवान को केवल विधि-विधान से नहीं, बल्कि भक्ति और सच्चे मन से बुलाया जा सकता है.