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Stray Dog Removal from Schools: देशभर में बढ़ते कुत्ते के काटने के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा और सख्त आदेश जारी किया है. अदालत ने स्पष्ट कहा है कि अब शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी ऐसे कुत्तों को तुरंत पकड़कर निर्धारित आश्रयों में भेजा जाए और नसबंदी के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस नहीं छोड़ा जाए.
अदालत ने क्यों लिया संज्ञान?
बीते कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों से स्कूलों और अस्पतालों में कुत्ते के काटने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. बच्चों और मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए अदालत ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया। यह मामला तब शुरू हुआ जब 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट में राजधानी दिल्ली में कुत्ते के काटने से रेबीज के एक गंभीर मामले की जानकारी सामने आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे “जनसुरक्षा का मुद्दा” मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया और मामले को केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित न रखते हुए देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक विस्तारित कर दिया.
अदालत के आदेश और दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया ने मामले की सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए.
- शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों के परिसर से सभी आवारा कुत्तों को हटाया जाए.
- नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस उसी स्थान पर न छोड़ा जाए.
- कुत्तों और मवेशियों को राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से हटाकर सुरक्षित आश्रयों में शिफ्ट किया जाए.
- अधिकारियों को ऐसे स्थानों की पहचान करने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है, जहां आवारा पशु या कुत्ते अक्सर देखे जाते हैं, ताकि उनकी निगरानी और नियंत्रण किया जा सके.
क्या है कोर्ट का मकसद?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसका उद्देश्य कुत्तों के प्रति नफरत फैलाना नहीं है, बल्कि जनसुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाना है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे संस्थान जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, वहां यह प्रवृत्ति तत्काल रोकी जानी चाहिए, क्योंकि इससे खतरा बढ़ता है. मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी, जिसमें अदालत यह समीक्षा करेगी कि राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय उसके आदेशों का पालन कितनी गंभीरता से कर रहे हैं.