142
Delhi School Pollution Update: दिल्ली NCR की हवा दिन-बा-दिन बत्तर होती जा रही है, शहर के ऊपर धुंध की मोटी परत छा गई है और सांस लेना मुश्किल हो गया है. राजधानी के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच गया है जो ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जिन लोगों को सांस से जुड़ी तकलीफ है, उन्हें कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जाने की सलाह दी गई है. ऐसे में क्या बच्चों के स्कूल दोबारा बंद होंगे या ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होगी?
दिल्ली की हवा कितनी खतरनाक?
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान प्रदूषण स्तर इतना ज्यादा है कि यहाँ सांस लेना दिनभर में कई सिगरेट पीने के बराबर है. ‘बेहद खराब’ AQI वाले इलाकों में रहने वाले लोग रोज़ाना लगभग 6 से 10 सिगरेट के बराबर जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं. वहीं ‘गंभीर श्रेणी’ वाले इलाकों में यह आंकड़ा 16 से 20 सिगरेट के बराबर पहुँच गया है. यह स्थिति न केवल बच्चों और बुजुर्गों के लिए बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है.
स्कूलों ने बाहरी गतिविधियां कीं बंद
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली के अधिकतर स्कूलों ने बाहरी गतिविधियाँ रोक दी हैं. बच्चों को जहरीली हवा से बचाने के लिए स्कूलों ने सुबह की सभाएँ, खेलकूद और शारीरिक शिक्षा की कक्षाएँ अब घर के अंदर आयोजित करनी शुरू कर दी हैं. कुछ निजी स्कूलों ने तो कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर भी लगा दिए हैं ताकि बच्चों को साफ हवा मिल सके.
सरकार ने लागू की शीतकालीन कार्य योजना
दिल्ली सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों को ‘शीतकालीन कार्य योजना’ का पालन करने के निर्देश दिए हैं. इस योजना के तहत स्कूलों को बच्चों को प्रदूषण से बचाने के उपाय अपनाने होंगे, जैसे कि बाहरी खेलों को सीमित करना, कक्षाओं में हवा की गुणवत्ता सुधारना और आवश्यक होने पर ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था करना.
क्या स्कूल बंद होंगे?
लगातार बिगड़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली सरकार जल्द ही स्कूलों को बंद करने का निर्णय ले सकती है. पिछले साल भी GRAP-IV (Graded Response Action Plan) लागू होने के बाद राजधानी में शिक्षण संस्थानों को कई हफ्तों तक बंद रखना पड़ा था. इस बार भी हालात उसी दिशा में जाते दिख रहे हैं. अभिभावकों और छात्रों से कहा गया है कि वे अपने स्कूलों से संपर्क में रहें ताकि उन्हें समय-समय पर सही जानकारी मिल सके.