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Delhi Blast के बाद इन डाक्टरों के फोन क्यों आ रहें है बंद? जांच में जुटी एजेंसियां

Delhi Blast: दिल्ली ब्लास्ट को लगभग 6 दिन हो चुके हैं जिसके बाद जांच एजेंसियां लगातार अलग- अलग तरह से जांच का सबूत जुटा रही है, इसी कड़ी में अब उन्हें नया सबूत हाथ लगा हैं.

Written By: shristi S
Last Updated: November 15, 2025 12:35:15 IST

Delhi Blast Investigation: दिल्ली के लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास 10 नंवबर को जोरदार बम धमाके में जांच एजेंसियों को बड़ा सबूत हाथ लगा है. गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और डॉ. मुज़म्मिल के मोबाइल फोन से एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है. एजेंसियों ने अल फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाई और काम करने वाले डॉक्टरों सहित कई डॉक्टरों की एक लंबी सूची तैयार की है. उमर बम विस्फोट के बाद से इनमें से कई डॉक्टरों के फोन बंद हैं और जाँच एजेंसियां उनका पता लगा रही हैं. जैश-ए-मोहम्मद के इन संदिग्धों के संपर्क में रहने वाले एक दर्जन से ज़्यादा डॉक्टरों की तलाश जारी है.

नूंह से 5 डॉक्टर गिरफ्तार

दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए विस्फोट की जाँच अब हरियाणा के नूंह तक पहुंच गई है. अब तक नूंह से पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें दो डॉक्टर और एक MBBS छात्र शामिल हैं. तीनों फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं. फिरोजपुर झिरका के डॉ. मोहम्मद, नूंह शहर के डॉ. रिहान और पुन्हाना के सुनहेरा गांव के डॉ. मुस्तकीम को गिरफ्तार किया गया है.
जांच एजेंसियों ने फिरोजपुर झिरका के अहमदबास गांव निवासी डॉ. मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया है. मोहम्मद ने अल फलाह विश्वविद्यालय से MBBS की डिग्री प्राप्त की थी. लगभग तीन महीने पहले, उन्होंने विश्वविद्यालय में छह महीने की इंटर्नशिप पूरी की थी और नौकरी की तलाश में थे. रिपोर्टों के अनुसार, मोहम्मद को 15 नवंबर को अल फलाह विश्वविद्यालय में ड्यूटी ज्वाइन करनी थी, लेकिन उससे पहले ही दिल्ली बम विस्फोट हो गए.

विश्वविद्यालय की ज़मीन की जांच होगी

इस संबंध में, फरीदाबाद जिला प्रशासन ने अल फलाह विश्वविद्यालय की ज़मीन की गहन जांच के आदेश दिए हैं. धौज गांव में स्थित यह विश्वविद्यालय लगभग 78 एकड़ में फैला है. प्रशासन अब यह पता लगाने में लगा है कि इस ज़मीन का कितना हिस्सा उपयोग में है और कितना खाली है. इसके लिए, भूमि सर्वेक्षक विश्वविद्यालय की ज़मीन की नाप-जोख कर रहे हैं.
ज़मीन की लंबाई, चौड़ाई और भवन क्षेत्र की पूरी सूची तैयार की जा रही है. न केवल ज़मीन की नाप-जोख की जा रही है, बल्कि प्रशासन यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ज़मीन किससे और किस कीमत पर खरीदी गई थी. विश्वविद्यालय ने किसको कितना पैसा दिया और किससे जमीन खरीदी, इसका पूरा रिकार्ड भी खंगाला जा रहा है.
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