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Bihar Election 2025 Result: क्या नीतीश और तेजस्वी की मदद से बिहार में सरकार बना पाएगी ओवैसी की पार्टी?

Bihar Chunav 2025 Result: बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद NDA को भारी बहुमत की जीत हासिल हुई है, वहीं दूसरी तरफ ओवैसी की पार्टी भी सरकार बनाने का तिकड़म सोच रही हैं.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-11-16 10:01:43

Owaisi Party Alliance Proposal: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की बात करें तो NDA ने भारी बहुमत से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया हैं, वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) भी 5 सीटों पर जीतकर बेहद खुश है. सीमांचल में पाँच सीटें जीतने के बाद ओवैसी की पार्टी बिहार में सरकार बनाने का सपना देख रही है. इसके लिए उसने एक नया गठबंधन बनाया है और राजद व जदयू के साथ गठबंधन करने की पेशकश की है. इसके अलावा, पार्टी ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा पेश किया है और 2029 में नीतीश कुमार को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का वादा किया है. यह पेशकश AIMIM बिहार इंस्टाग्राम हैंडल पर की गई.

X पर क्या किया पोस्ट

AIMIM बिहार के आधिकारिक X  पर पोस्ट किया है कि सरकार बनाने का अभी भी मौका है. पार्टी का कहना है कि अगर JDU, RJD, कांग्रेस, AIMIM, सीपीआईएमएल और सीपीआई(एम) साथ आ जाएं तो सरकार बन सकती है. गौरतलब है कि जेडीयू के पास 85 सीटें हैं, जबकि आरजेडी के पास 25 हैं. कांग्रेस और AIMIM ने क्रमशः 6 और 5 सीटें जीतीं. सीपीआई(एमएल) और सीपीआई(एम) ने 3-3 सीटें जीतीं, जिससे कुल सीटों की संख्या 124 हो गई, जो बिहार में बहुमत के जादुई आंकड़े 122 से दो ज़्यादा है.

क्या हैं ओवैसी की रूपरेखा?

AIMIM की कल्पनाएं बेकाबू हो गई हैं, और उसने एक कैबिनेट की रूपरेखा भी बना ली है. पार्टी ने कहा है कि उसका एक मुख्यमंत्री होगा, जबकि जेडीयू के कोटे में दो उपमुख्यमंत्री और 20 मंत्री शामिल हो सकते हैं.आरजेडी को 6 मंत्री पद मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस को दो. सीपीआई(एमएल) और सीपीआई(एम) को एक-एक मंत्री पद मिल सकता है. इसके अलावा, नीतीश कुमार को 2029 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाएगा. ओवैसी की पार्टी ने कहा कि हम हमेशा एकीकरण की राजनीति करते हैं, विभाजन की नहीं. इसलिए, अभी भी संभावना है.

मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में खासा प्रभाव रखने वाली इस पार्टी ने 243 विधानसभा सीटों में से 29 पर चुनाव लड़ा था. इनमें से 24 सीटें सीमांचल क्षेत्र की थीं. चुनाव से पहले, एआईएमआईएम ने महागठबंधन में शामिल होने की पूरी कोशिश की थी. हालांकि, जब राजद और कांग्रेस ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया, तो ओवैसी की पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। माना जाता है कि मुस्लिम वोटों के बिखराव ने भी राजद और कांग्रेस की हार में योगदान दिया. ओवैसी की पार्टी सीमांचल में पांच सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन कई सीटें करीबी मुकाबलों में हार गई.

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