Premanand Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत और ठाकुरजी व राधारानी के अनन्य भक्त बाबा प्रेमानंद महाराज अक्सर अपने प्रवचनों में जीवन की समस्याओं के सरल समाधान प्रस्तुत करते हैं. एक प्रवचन के दौरान, एक भक्त ने महाराज जी से अपनी समस्या साझा की. भक्त ने पूछा, “अगर मुझे सुबह जल्दी उठने में परेशानी होती है, तो मुझे क्या करना चाहिए?”
केवल ब्रह्ममुहूर्त में ही जागें
प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया, “यदि आप किसी भी तरह से आलसी हैं और सुबह 6:30 बजे उठ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप ब्रह्मचर्य का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं. शास्त्रों और महापुरुषों के अनुभवों के अनुसार, जो व्यक्ति सुबह 4 से 6 बजे के बीच सोता है, वह कभी भी पूर्ण ब्रह्मचारी नहीं हो सकता.” यदि किसी ने सुबह 2 या 3 बजे तक भजन या साधना की है, तो उसके लिए देर तक सोना उचित है. हालांकि, ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में सोना बहुत बड़ा नुकसान माना जाता है. आप चाहे कितना भी सत्संग सुनें या भजन गाएं, अगर आप ब्रह्ममुहूर्त में सोते रहेंगे, तो आपको कोई वास्तविक आध्यात्मिक लाभ नहीं मिलेगा.
ब्रह्ममुहूर्त में जागना ही सच्ची पूजा है
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं, “जो भी भक्त ब्रह्ममुहूर्त में जागता है, उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है. सुबह 4 से 6 बजे के बीच का समय बहुत शक्तिशाली होता है और इस दौरान ईश्वर के भजन गाना बहुत अच्छा होता है.”
ब्रह्ममुहूर्त का महत्व
हिंदू धर्म में ब्रह्ममुहूर्त को अत्यंत शुभ माना जाता है. ब्रह्ममुहूर्त का अर्थ है ईश्वर का समय. ब्रह्ममुहूर्त को अक्षयमुहूर्त भी कहा जाता है. इस दौरान अपने इष्ट देव का स्मरण और स्नान करने के बाद, आंखें बंद करके किसी प्रभावशाली मंत्र का जाप करें.
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