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शनिदेव को मिला था अपनी ही पत्नी से श्राप! यहा जानें क्या था कारण

Myths related to Releated Shani Dev: क्यों शनि देव चलते है धीमी चाल और क्यों नहीं देखना चाहिए शनि देव की आखों में? क्या है इसके पीछा का गहरा रहस्य? शनिदेव को उनकी पत्नि ने दिया था श्राप

Written By: Chhaya Sharma
Last Updated: November 21, 2025 17:51:55 IST

Interesting stories of Shanidev: शनिदेव को न्याय, कर्मफल और संघर्ष का देवता माना जाता है, जिनपर उनकी कृपा होती है, उसे जीवन में सफलता मिलती है, लेकिन अगर शनी की कृपा ना हो तो जीवन में व्यापार नौकरी और सेहत से जुड़े कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव को भी श्राप मिला हुआ है. दरअसल धर्म ग्रंथों में शनिदेव से जुड़ी कई रोचक कथाएं मशहूर है. जिसके बारे में बेहद कम लोग जानते हैं, इसी में से एक हैं, जब शनिदेव को उनकी ही पत्नि ने श्राप दिया था. 

शनिदेव को उनकी पत्नि ने दिया था श्राप

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव की शादी चित्ररथ नाम के गंधर्व की पुत्री, से हुई थी। शनिदेव की तरह उनकी पत्नी का स्वभाव भी बेहद उग्र बताया गया है। एक बार की बात है, जब शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण को खुश करने के लिए तपस्या कर रहे थे, उसी समय उनकी पत्नी ऋतु स्नान के बाद उनसे मिलन की कामना हुई और वो शनि देव के पास जा पहुंची। लेकिन तपस्या में होने की वजह शनिदेव को इस बात का पता नहीं चला। पत्नी का ऋतुकाल समाप्त होने के बाद शनिदेव का ध्यान भंग हुआ. गुस्से में आकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप देते हुए कहा ‘पत्नी होने के बाद भी आपने मुझे कभी प्रेम की दृष्टि से नहीं देखा, इसलिए आज के बाद आप  जिसे भी देखेंगे, उसका अहित हो जायेगा. इसी वजह से  शनि की दृष्टि में दोष माना जाता है और यहा वजह है कि उन्हें कभी सामने से नजरें मिलाकर नहीं देखा जाता है.

शिव से जुड़ी है एक और क्था

इसके अलावे शनि देव को लेकर एक कथा और प्रचलित है कि, जो भगवान शिव से जुड़ी है. पुराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने दधीचि मुनि के पुत्र पिप्पलाद के रूप में अवतार लिया. पिप्पलाद ने देवताओं से अपने पिता की मृत्यु का कारण पूछा तो उन्होंने कहा ऐसा शनिदेव की कुदृष्टि के कारण ऐसा हुआ है, इस बात को सुनकर पिप्पलाद मुनि ने शनिदेव पर ब्रह्म दंड का प्रहार किया. जो शनिदेव के पैर पर जाकर लगा, जिससे उनकी गति मंदी हो गई, जिसके बाद सभी देवताओं ने पिप्पलाद मुनि को समझाया और उनका गुस्सा शांत हुआ.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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