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70 साल पानी में डूबा रहा श्रीकृष्ण का यह प्राचीन मंदिर, भक्तों को आज भी सुनाई देती है बांसुरी की गूंज

Sri Venugopalaswamy Temple: आपने कृष्ण कन्हैया के कई मंदिर देखे होंगे, लेकिन कर्नाटक में भगवान वासुदेव का एक मंदिर है जहां भक्त आज भी बांसुरी की आवाज सुन सकते हैं. कोई नहीं जानता कि यह आवाज कहां से आती है. कहा जाता है कि यह मंदिर 12वीं सदी में बना था. आइए जानते हैं भगवान कृष्ण के इस मंदिर की खास बातें...

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: November 23, 2025 16:39:07 IST

Sri Venugopalaswamy Temple: देश में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं. मंदिर की धार्मिक मान्यताएं ही भक्तों को उनके भगवान से जोड़ती हैं. कर्नाटक का वेणुगोपालस्वामी मंदिर ऐसी ही आध्यात्मिकता और चमत्कारों से जुड़ा है. माना जाता है कि आज भी भक्त भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर आवाज सुन सकते हैं. इस मंदिर में सिर्फ पूजा करने और आने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

आज भी आती है बांसुरी की आवाज

कर्नाटक के मैसूर जिले के पास होसा कन्नमबडी गांव में बना वेणुगोपाल स्वामी मंदिर, भगवान कृष्ण की बांसुरी बजाने की पूजा के लिए है. भगवान का रंग सांवला है और वे सुंदर फूलों से सजे हुए हैं. भक्तों ने बताया है कि जब भी वे दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं, तो उन्हें बांसुरी की आवाज सुनाई देती है,

70 साल तक डूबा रहा मंदिर

वेणुगोपाल स्वामी मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यह 70 साल तक डूबा रहा, फिर भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ. मंदिर सफेद ग्रेनाइट से बना है, और इसके खंभे और दीवारें पारंपरिक होयसल आर्किटेक्चर को दिखाती हैं. यह मंदिर 12वीं सदी में होयसल वंश ने बनवाया था. अंदर, आपको कई छोटे मंदिर और एक शाही रथ मिलेगा जो इसकी ऐतिहासिक विरासत को दिखाता है. पूरे मंदिर को बनाने में सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया था. फ़र्श से लेकर नक्काशी तक सब कुछ सफ़द मार्बल से किया गया है.

मंदिर दूसरी जगह लाया गया

1909 में, कृष्ण राजा सागर डैम प्रोजेक्ट सर एम. विश्वेश्वरैया ने शुरू किया था, और असली मंदिर कन्नमबाड़ी में था. जब तक डैम प्रोजेक्ट पूरा हुआ, पूरा गांव और मंदिर पानी में डूब गए थे. राजा कृष्ण राजा वाडियार IV ने गांव को फिर से बसाने की कोशिश की, और गाँव और असली मंदिर को दूसरी जगह ले जाया गया. इस जगह का नाम होसा कन्नमबाड़ी रखा गया. पानी में डूबने के बावजूद, मंदिर को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. खोडे फाउंडेशन ने मंदिर को दूसरी जगह लगाने का काम किया.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. INDIA News इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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