Live
Search
Home > धर्म > क्या आपको पता है काशी इस धरती का हिस्सा नहीं? सद्गुरु की अनोखी व्याख्या जानकर हैरान रह जाएंगे

क्या आपको पता है काशी इस धरती का हिस्सा नहीं? सद्गुरु की अनोखी व्याख्या जानकर हैरान रह जाएंगे

Kashi and Sadhguru: गरुड़ पुराण, शिव पुराण और काशी खंड जैसी कई किताबों में बताया गया है कि काशी में मरने पर भगवान शिव खुद आत्मा को मोक्ष का मंत्र देते हैं. इसलिए काशी को मोक्ष की भूमि कहा जाता है. काशी के बारे में सद्गुरु का एक बयान काफी समय से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. आइए जानते हैं सद्गुरु महाराज ने क्या कहा...

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: November 23, 2025 18:54:47 IST

Kashi and Sadhguru: भगवान शिव की नगरी काशी का महत्व वेदों, पुराणों, ज्योतिष, शैव-शक्ति परंपराओं और आध्यात्मिक सिद्धांतों में बहुत बताया गया है. यह जगह सिर्फ एक शहर नहीं है, बल्कि इसे ऊर्जा का गेटवे और मोक्ष का क्षेत्र माना जाता है. शिव पुराण में कहा गया है कि काशी भगवान शिव की सीधी भूमि है; इसे ब्रह्मा ने नहीं बनाया, बल्कि शिव ने अपनाया था. इसी वजह से काशी को अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है, एक ऐसी जगह जहां से शिव कभी नहीं जाते. जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें काशी का महत्व बताया गया है. इस वीडियो में सद्गुरु बताते हैं कि काशी धरती का हिस्सा नहीं है.

काशी तब थी जब कुछ भी नहीं था

सद्गुरु काशी का महत्व समझाते हुए कहते हैं कि जब एथेंस की कल्पना भी नहीं हुई थी, तब भी काशी मौजूद थी. जब रोम और मिस्र जैसे शहर नहीं थे, तब भी काशी मौजूद थी ,जिसे एक शहर के रूप में बनाया गया था, जो माइक्रोकॉसम को मैक्रोकॉसम से जोड़ता है. इससे पता चलता है कि एक छोटे से इंसान में भी कॉस्मिक नेचर के साथ एक होने की खुशी, उत्साह और सुंदरता का अनुभव करने की ज़बरदस्त क्षमता होती है. ज्योमेट्रिकली, यह एक परफेक्ट उदाहरण है कि कैसे कॉसमॉस, या मैक्रोकॉसम, और माइक्रोकॉसम मिल सकते हैं. उन्होंने एक शहर के रूप में एक ज़रिया बनाया.

काशी शहर में 72,000 मंदिर थे

सद्गुरु ने कहा कि हमारे देश में ऐसे कई रिसोर्स हैं, लेकिन एक पूरा शहर बनाना एक पागलपन भरा सपना माना जाएगा, और उन्होंने यह सपना 1,000 साल पहले ही पूरा कर लिया था. काशी शहर में 72,000 मंदिर थे, यह संख्या हमारे शरीर में नसों की संख्या के बराबर है. इस शहर को बनाना एक विशाल इंसानी शरीर का एक रूप है, जिसके ज़रिए हम कॉस्मिक बॉडी से जुड़ सकते हैं.

 

काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है

सद्गुरु ने आगे कहा कि बहुत से लोग कहते हैं कि काशी शिव के त्रिशूल पर है, ज़मीन पर नहीं. मेरे अनुभव में, काशी का एनर्जी स्ट्रक्चर ज़मीन से लगभग 33 फीट ऊपर है, और यह 7200 फीट तक फैल सकता है. इसीलिए उन्होंने काशी को टावर ऑफ़ लाइट कहा. यह आपको किसी ऐसी चीज़ तक ले जाता है जो ब्रह्मांड और सभी शक्तियों से परे है. आइडिया एक ऐसा सिस्टम बनाने का था जहाँ हर इंसान अपनी सबसे ऊँची इंसानी काबिलियत तक पहुँचने की कोशिश कर सके.

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?