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Ram Mandir Dhwajarohan 2025: जानिए राम मंदिर पर धर्मध्वज चढ़ाने का धार्मिक महत्व, और क्यों 44 मिनट है अत्यंत शुभ

Ram Mandir Dhwajarohan 2025: आज राम मंदिर पर भगवा रंग का धर्म ध्वज फहराया गया. आइए जानते हैं कि झंडा फहराने के लिए आज का ही मुहूर्त क्यों चुना गया और इसका धार्मिक महत्व क्या है.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: November 25, 2025 13:07:00 IST

Ram Mandir Dhwajarohan 2025: राम मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है, और आज मंदिर पर भगवा रंग का झंडा फहराया गया. राम मंदिर पर धर्म ध्वज फहराना शान का प्रतीक माना जाता है, और उसी शान का एक बड़ा समारोह अयोध्या में हो रहा है. इस बड़े समारोह के लिए अयोध्या शहर को बहुत अच्छे से सजाया गया है. भगवान राम की नगरी रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रही है. शहर का हर कोना धर्म ध्वजा के जश्न का गवाह है. कल रात मंदिर के शिखर पर भगवान राम और माता सीता को दिखाते हुए एक लेज़र शो ने सभी का मन मोह लिया. इस खास कार्यक्रम ने मंदिर परिसर को बदल दिया है.

ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार, आज राम मंदिर में ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त (शुभ समय) में हुआ, जो सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा. माना जाता है कि भगवान राम का जन्म इसी अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, इसलिए आज राम मंदिर में ध्वजारोहण के लिए यह समय तय किया गया है.

25 नवंबर का दिन ही क्यों चुना गया?

अयोध्या के संतों के अनुसार, भगवान राम और माता जानकी का विवाह त्रेता युग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था. 25 नवंबर, जो आज भी वही पंचमी तिथि है, आज भी वही तिथि है, और हर साल हिंदू कैलेंडर में विवाह पंचमी पर सबसे ज़्यादा शादियों के मुहूर्त तय होते हैं.

यह धर्म ध्वज इतना खास क्यों है?

राम मंदिर में फहराया जाने वाला झंडा केसरिया रंग का है. झंडा 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा होगा. झंडे का डंडा 42 फीट ऊंचा होगा. झंडा 161 फीट की ऊंचाई पर फहराया गया. झंडे पर तीन निशान बने हैं: सूरज, ओम और कोविदार पेड़. माना जाता है कि यह झंडा सूरज भगवान का प्रतीक है.सनातन परंपरा में, भगवा रंग त्याग, बलिदान, बहादुरी और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. रघुवंश वंश के राज में भी इस रंग की खास जगह थी. भगवा रंग ज्ञान, वीरता, समर्पण और सच्चाई की जीत को दिखाता है.

राम मंदिर में झंडा फहराने का महत्व

मंदिर में झंडा फहराने की परंपरा हिंदू धर्म में बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मंदिर पर फहराया गया झंडा देवता की मौजूदगी को दिखाता है, और जिस पूरे इलाके में यह फहराता है, उसे पवित्र माना जाता है. शास्त्रों में मंदिर के शिखर पर लगे झंडे को देवता की महिमा, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक बताया गया है.वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में भी झंडों, बैनरों और मेहराबों का वर्णन है. त्रेता युग का उत्सव राघव के जन्म का था, और कलियुग का उत्सव मंदिर के निर्माण के पूरा होने की घोषणा करता है. जब रघुकुल तिलक के मंदिर के ऊपर झंडा लहराएगा, तो यह दुनिया को संदेश देगा कि अयोध्या में रामराज्य फिर से आ गया है.

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