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‘SIR’ से वापस मिला 40 साल पहले बिछड़ा बेटा, राजस्थान के गांव की भावुक कहानी, पढ़ें मां ने कैसे पहचाना!

SIR Campaign Rajasthan: राजस्थान में SIR अभियान के दौरान एक ऐसा भावुक पल आया जिसने सबकी आंखे नम कर दी. एक मां को उसका 40 साल पुराना बेटा मिल गया.

Written By: shristi S
Last Updated: November 27, 2025 16:02:33 IST

Son Reunited with Mother in SIR Campaign Rajasthan: इस वक्त देश के कई राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR ) के दौरान राजस्थान में एक ऐसा दृश्य दिखा जिसने सबकी आंखें नम कर दी. यह भाव विभोर छण था, जब एक मां को उसका 40 साल से गुमशुदा बेटा मिला. इस खुशी के मौके पर पूरे गांव ने लापता बेटे उदय सिंह रावत का भव्य स्वागत किया. ऐसे में आइए विस्तार से जाने की यह पूरा मामला क्या है और कैसे SIR की मदद से मां को उसका खोया बेटा 40 साल बाद दुबारा मिला.

कब खोया था बेटा उदय सिंह रावत?

जानकारी के मुताबिक, 1980 में करेड़ा तहसील की शिवपुर पंचायत के जोगीधोरा गांव के रहने वाले उदय सिंह चार किलोमीटर दूर सूरज गांव में आठवीं क्लास में पढ़ते थे. परिवार की खराब माली हालत की वजह से वे गर्मियों की छुट्टियां बिताने छत्तीसगढ़ गए थे. वहां उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में गार्ड की नौकरी की. इस दौरान उन्होंने अपने दोस्तों को बताया कि वे भीलवाड़ा, राजस्थान के रहने वाले हैं. इसी बीच एक सड़क हादसे में उदय सिंह की याददाश्त चली गई, जिसके बाद वे अपने गांव और परिवार को भूल गए. उनके परिवार ने दशकों तक उन्हें ढूंढा, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली.

क्लासमेट ने उदय सिंह को पहचाना

SIR से पहले उदय सिंह की याददाश्त धीरे-धीरे वापस आ रही थी और वे अपने गांव लौट आए थे. भारत के चुनाव आयोग की तरफ से देश के कई राज्यों में चलाए जा रहे SIR कैंपेन के दौरान उदय सिंह अपने वोटर फॉर्म के बारे में जानकारी लेने भीलवाड़ा के सूरज गांव के स्कूल गए थे. सूरज के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल रामकृष्ण वर्मा ने बताया कि BLO घर-घर जाकर वोटर लिस्ट वेरिफाई कर रहे थे. इस दौरान उदय सिंह वोटर लिस्ट में अपना नाम देखने के लिए स्कूल के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BLO) के पास गया. उसके क्लासमेट जीवन सिंह ने उसे पहचान लिया और उसके परिवार को बताया. टीचर जीवन सिंह ने बताया कि उदय सिंह उसका क्लासमेट है. स्कूल पहुंचकर उसने उसे पहचान लिया और शिवपुर पंचायत के जोगीधोरा गांव में उसके परिवार को बताया. जैसे ही परिवार पहुंचा, वे उदय सिंह को देखकर इमोशनल हो गए.

इस तरह की मां ने पहचान

उदय सिंह के भाई हेम सिंह रावत ने कहा कि शुरू में यकीन करना मुश्किल था, लेकिन जब उदय ने अपनी निजी पारिवारिक यादें और बचपन के किस्से शेयर किए, तो उन्हें यकीन हो गया कि यह उसका भाई ही उसके सामने खड़ा है. पहचान का आखिरी कन्फर्मेशन तब हुआ जब उदय सिंह की मां चुन्नी देवी रावत ने अपने बेटे के माथे और सीने पर बबूल की टहनी से बने पुराने घाव देखे. घावों का मिलान करने पर चुन्नी देवी ने उदय का माथा चूमा और कहा कि यह मेरा उदय है… मुझे मेरा बेटा मिल गया।” यह सीन वहां मौजूद सभी लोगों के लिए इमोशनल था.

उनके स्वागत के लिए गांव में जुलूस निकाला गया. जैसे ही उनकी पहचान हुई, पूरा गांव खुशी से झूम उठा. परिवार के सदस्यों और गांववालों ने ढोल और DJ के साथ पारंपरिक जुलूस में उदय सिंह का स्वागत किया, और उन्हें घर तक पहुंचाया गया. मीटिंग के दौरान, उदय सिंह ने अपने परिवार से दोबारा मिलकर खुशी जताई, जो एक्सीडेंट के बाद अपनी याददाश्त खो चुके थे. इलेक्शन कमीशन के SIR कैंपेन की वजह से वह उनसे जुड़ पाए.

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