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Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी की कथा सुनने मात्र से मिलती है पितरों को मुक्ति, जानें पूरा महत्व

Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी को पापों का नाश करने वाली और मोक्ष देने वाली एकादशी माना जाता है,आइए जानतें हैं मोक्षदा एकादशी कथा के बारे में.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: 2025-11-28 18:19:53

Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी, जिसे पापों का नाश करने वाली और मोक्ष देने वाली एकादशी माना जाता है, इस साल सोमवार, 1 दिसंबर, 2025 को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म के अनुसार, सिर्फ एकादशी का व्रत रखने से ही नहीं, बल्कि इसकी कथा पढ़ने और सुनाने से भी बहुत पुण्य मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से नरक में कष्ट झेल रहे पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि यह एकादशी खास तौर पर पितरों को मोक्ष दिलाने वाली होती है.

मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक तरक्की होती है. कथा सुनना, हरि का नाम लेना और दान देना बहुत शुभ माना जाता है.

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

पुराने समय में, गोकुलपुरी में वैखानस नाम का एक नेक राजा राज करता था. राजा हमेशा अपनी प्रजा की भलाई का ध्यान रखता था, लेकिन एक रात उसे एक डरावना सपना आया. उसने देखा कि उसके पिता नर्क में भयानक यातनाएं झेल रहे हैं और दर्द से तड़प रहे हैं.सपना इतना असली लगा कि राजा चिंता और बेचैनी से भर गया. सुबह उसने अपने राज्य के विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और पूछा, ‘मेरे पिता इस हालत में क्यों हैं, और उनका मोक्ष कैसे मुमकिन है?’

विद्वानों ने कहा कि इस सवाल का जवाब सिर्फ महर्षि पर्वत ही दे सकते हैं, जो भूत और भविष्य के जानकार हैं. राजा तुरंत पर्वत ऋषि के आश्रम गया और विनम्रता से अपने पिता की हालत बताई और रास्ता दिखाने की गुज़ारिश की.

ऋषि ने ध्यान लगाकर कहा, “राजा! आपके पिता ने पिछले जन्मों में बहुत बड़ा पाप किया था, और वे नरक में उसका प्रायश्चित कर रहे हैं.”

राजा दुखी होकर बोले, “गुरुदेव, कृपया मुझे बताएं कि मैं उन्हें कैसे मुक्ति दिला सकता हूं.”

तब ऋषि ने कहा, “मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. आपको इस एकादशी का व्रत विधि-विधान से करना चाहिए और भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए. इस व्रत के प्रभाव से आपके पिता को नरक से मुक्ति मिलेगी.”

राजा वैखानस ने पूरे विधि-विधान से व्रत रखा. उनकी तपस्या, भक्ति और एकादशी के पुण्य के कारण उनके पिता नरक से मुक्त हो गए. उन्होंने दिव्य रूप धारण किया और यह कहते हुए स्वर्ग चले गए, “बेटा! तुम्हारा भला हो. तुम्हारी भक्ति ने मुझे मुक्ति दिलाई है.”

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. INDIA News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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