Hindu Wedding Ritual: भारतीय शादियां अनोखी होती हैं, और हिंदू शादियों में सबसे ज्यादा रस्में होती हैं. इन रस्मों में से एक परंपरा जो आपने बचपन से लेकर आज तक देखी होगी, वह है दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर लगाता है. सिंदूर को शादीशुदा जिंदगी की खुशी का प्रतीक माना जाता है, और शादी के बाद महिला इसे लगाती है. इसे कुमकुम भी कहते हैं.
शादी के सात फेरों के बाद, दूल्हा पहली बार अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर लगाकर इस पवित्र बंधन को पूरा करता है. हालांकि, अक्सर एक सवाल उठता है: मांग में सिंदूर लगाकर अंगूठी क्यों लगाई जाती है? आइए इसके पीछे के गहरे आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक मतलब को जानें.
मांग में सिंदूर लगाने की परंपरा
ज्योतिष और परंपरा के अनुसार, लाल रंग को एनर्जी, शक्ति और शुभता का प्रतीक माना जाता है. लाल रंग नेगेटिव एनर्जी से बचाता है और शादीशुदा ज़िंदगी में अच्छी किस्मत लाता है. मांग में सिंदूर लगाने की परंपरा बिना वजह नहीं है. अंगूठी आमतौर पर सोने की बनी होती है, जिसे भगवान विष्णु का पसंदीदा मेटल माना जाता है. हिंदू मान्यता है कि दुल्हन देवी लक्ष्मी का रूप होती है, और सोने की अंगूठी में सिंदूर लगाना खुशहाली और स्थिरता का आशीर्वाद माना जाता है.
अंगूठी है प्यार का प्रतीक
इसके अलावा, अंगूठी का गोल आकार परफेक्शन और हमेशा रहने वाले प्यार का प्रतीक है. जब दूल्हा इस अंगूठी से अपनी दुल्हन के बालों में सिंदूर लगाता है, तो इसे उनके जीवन में हमेशा रहने वाले प्यार, फाइनेंशियल स्थिरता और शुभता का आशीर्वाद माना जाता है. यह भी माना जाता है कि सोने की अंगूठी में सिंदूर लगाने से शादीशुदा जिंदगी सुरक्षित रहती है और दुल्हन की सेहत और सेहत मजबूत होती है.
सदियों पुरानी परंपरा
यह परंपरा हिंदू परिवारों में सदियों से चली आ रही है और आज भी इसे बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है. सिंदूर शादीशुदा जिंदगी की खुशी का प्रतीक है, और इसे अंगूठी में पहनना प्यार, विश्वास, खुशहाली और शुभकामनाओं का हमेशा रहने वाला बंधन माना जाता है. इसलिए, शादी के समय पति अपनी पत्नी की विदाई में सिंदूर लगाता है.