साल 2018 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए रिजेक्ट कर दिया गया
हाई कोर्ट से मिली निराशा लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत
गणेश ने गुजरात हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन हाई कोर्ट ने MCI के फैसले को सही ठहराया. इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक ले गए. चार महीने की कानूनी लड़ाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि गणेश को उनकी हाइट के आधार पर मेडिकल एडमिशन से मना नहीं किया जा सकता. नीलकंठ विद्यापीठ, तलाजा के प्रिंसिपल डॉ. दलपतभाई कटारिया ने उनके ज़्यादातर कानूनी खर्च उठाए, क्योंकि गणेश का परिवार खेती पर निर्भर था और इतने बड़े केस का खर्च नहीं उठा सकता था. इस फैसले ने उनके सपनों का रास्ता बनाया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, गणेश को 2019 में भावनगर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला. उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और अपनी स्टेट इंटर्नशिप पूरी करने के बाद, अब एक डॉक्टर के तौर पर सेवा दे रहे हैं.
बताया अपना लक्ष्य
गणेश का कहना है कि वह ग्रामीण इलाकों में गरीब लोगों का इलाज करना चाहते हैं क्योंकि वहीं सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. उनका सपना है कि उन्हें उनके काम के लिए पहचाना जाए, न कि उनकी हाइट के लिए. गणेश बताते हैं कि कई मरीज़ जब उन्हें पहली बार देखते हैं तो थोड़े हैरान होते हैं, लेकिन बाद में वे उन्हें पूरी तरह अपना लेते हैं. गणेश अपने मरीज़ों के शुरुआती रिएक्शन पर भी आसानी और पॉजिटिविटी से रिस्पॉन्ड करते हैं.