क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना बाराहाट थाना इलाके के बभनगामा गांव में हुई. शनिवार रात करीब 10-11 बजे का समय रहा होगा. अमरेंद्र हमेशा की तरह अलग कमरे में पढ़ रहे थे. उन्होंने अपना मोबाइल फ़ोन चार्ज करने के लिए पुराना चार्जर प्लग इन किया. अचानक उन्हें ज़ोर का झटका लगा, और वे चीख भी नहीं पाए कमरे में अकेले होने की वजह से कोई तुरंत मदद के लिए नहीं जा सका. जब घरवालों ने दरवाज़ा खोला तो अमरेंद्र ज़मीन पर बेहोश पड़ा था, उसके हाथ-पैर नीले पड़ रहे थे.
ऐसे हादसे क्यों हो रहे हैं?
गौर करने वाली बात है कि पिछले 2-3 सालों में बिहार और झारखंड में मोबाइल चार्जर और ईयरफ़ोन से करंट लगने से 15 से ज़्यादा मौतें हुई हैं. ज़्यादातर मामलों में पुराने चार्जर, नकली एडॉप्टर, गीले हाथ या खराब वायरिंग वजह रही हैं. गांवों में अर्थिंग सिस्टम नहीं होते, इसलिए छोटा सा झटका भी जानलेवा हो सकता है.
इससे बचने के क्या तरीके हैं?
- हमेशा ISI मार्क वाला ओरिजिनल चार्जर इस्तेमाल करें.
- चार्ज करते समय फ़ोन को हाथ में न लें, खासकर बिस्तर पर.
- गीले हाथों या पैरों से चार्जर को कभी न छुएं.
- अपने घर की वायरिंग और अर्थिंग चेक करवाएं.
- कोई भी पुराना या घिसा हुआ चार्जर तुरंत फेंक दें.
- चार्जर प्लग में लगाकर सो जाना बहुत खतरनाक है.
- चार्ज करते समय बच्चों को दूर रखें.