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Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा की चर्चा आज पूरे विश्व में है, लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं. आइए बाबा नीम करोली के बारे कुछ मजेदार और रोचक बातें जानते हैं.
- नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. उनका जन्म 1900 के आस-पास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था.
- 1958 में बाबा ने अपना घर छोड़ दिया और एक संत के रूप में पूरे उत्तर भारत में घूमने लगे. उस समय उन्हें लक्ष्मण दास, हंडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा के नामों से जाना जाता था.जब उन्होंने गुजरात के वावनिया मोरबी में तपस्या की, तो उन्हें वहां तलैया बाबा के नाम से जाना जाने लगा.
- एक बार, बाबा फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर कर रहे थे. जब टिकट चेकर आया, तो बाबा के पास टिकट नहीं था. फिर उन्हें अगले स्टेशन, नीम करोली पर उतारा गया. थोड़ी दूर पर, बाबा अपनी छड़ी जमीन में गाड़कर बैठ गए. अधिकारियों ने ट्रेन को चलने का आदेश दिया, और गार्ड ने झंडा लहराया, लेकिन ट्रेन एक इंच भी नहीं हिली. जब कई कोशिशों के बाद भी ट्रेन नहीं हिली, तो अधिकारियों ने बाबा से माफी मांगी और सम्मान के साथ उन्हें ट्रेन में चढ़ने दिया. जैसे ही बाबा ट्रेन में चढ़े, वह चलने लगी. तब से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया.
- बाबा नीम करोली सबसे पहले 1961 में उत्तराखंड में नैनीताल के पास कैंची धाम आए थे, और अपने पुराने दोस्त पूर्णानंद जी के साथ उन्होंने वहां एक आश्रम बनाने का फैसला किया. बाबा नीम करोली ने 1964 में यह आश्रम बनाया था.
- नीम करोली बाबा की समाधि नैनीताल के पास पंतनगर में है. यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता. बाबा की समाधि भी यहीं है. यहां बाबा नीम करोली की एक शानदार मूर्ति लगाई गई है.
- देवभूमि कैंची धाम में 15 जून को मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से भक्त आते हैं. बाबा नीम करोली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. देश-विदेश से हजारों भक्त यहां हनुमानजी का आशीर्वाद लेने आते हैं. बाबा के भक्तों ने इस जगह पर एक शानदार हनुमान मंदिर बनवाया. यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं, जिनमें से एक हनुमानजी का भी है. बाबा नीम करोली हनुमानजी के पक्के भक्त थे और उन्होंने देश भर में उनके लिए कई मंदिर बनवाए थे.
- रिचर्ड अल्परट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर “मिरेकल ऑफ लव” नाम की एक किताब लिखी, जिसमें “बुलेटप्रूफ ब्लैंकेट” नाम की एक घटना का जिक्र है. बाबा हमेशा कंबल ओढ़ते थे. आज भी लोग उनके मंदिर जाते हैं और उन्हें कंबल गिफ्ट करते हैं.
बाबा नीम करोली महाराज के दो बेटे और एक बेटी हैं. उनके सबसे बड़े बेटे, अनीक सिंह, अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि उनके छोटे बेटे, धर्म नारायण शर्मा, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में रेंजर के तौर पर काम करते थे. हाल ही में उनका निधन हो गया.