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आखिरकार कौन हैं देवव्रत महेश रेखे, जिसने 200 साल बाद रचा इतिहास? जानें क्या होता है दंडक्रम पारायण?

Devvrat Mahesh Rekhe Achievement: पीएम मोदी के पोस्ट के बाद हर किसी की जुबान पर बस ये ही सवाल है कि आखिर देवव्रत महेश रेखे कौन है, जिसने 19 साल की उम्र में ऐसा काम किया जिससे 200 साल बाद इतिहास रच दिया.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-12-02 18:47:56

PM Narendra Modi Praises Devvrat Mahesh Rekhe: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को अपने सोशल मीडिया (Social Media) एकांउट पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंनें 19 साल के देवव्रत महेश रेखे (Devvrat Mahesh Rekhe) की तारीफ की और उन्हें बधाई दी. पीएम की पोस्ट के बाद से काफी लोगों में देवव्रत की चर्चा चल रहीं है, ऐसे में चलिए विस्तार से जानें कि आखिरकार ये देवव्रत महेशर रेखे कौन है, उन्होंने ऐसा क्या किया है, जिससे पीएम मोदी ने सराहा है. 

प्रधानमंत्री मोदी की पोस्ट

प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है. उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है. भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि श्री देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया है. इसमें अनेक वैदिक ऋचाएं और पवित्रतम शब्द उल्लेखित हैं, जिन्हें उन्होंने पूर्ण शुद्धता के साथ उच्चारित किया। ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम रूप है.

वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे कौन हैं?

महाराष्ट्र के अहिल्या नगर के रहने वाले वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे, वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे के पिता हैं, जिनका नाम वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे है. वे वाराणसी के सांगवेद विद्यालय के स्टूडेंट हैं. गौरतलब है कि दंडक्रम पारायण को बहुत मुश्किल टेस्ट माना जाता है, जिसके लिए रेखे रेगुलर चार घंटे प्रैक्टिस करते थे. कहा जाता है कि वह हर दिन सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक प्रैक्टिस करते थे.

2000-मंत्र दंडक्रम पारायण

असल में, शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा का 2000-मंत्र दंडक्रम पारायण कई दिनों तक किया गया था, और वेदमूर्ति महेश रेखे ने इसे बिना किसी रुकावट के 50 दिनों में पूरा किया. इसके अलावा, वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने दंडक्रम पारायण को सबसे कम समय में पूरा किया: सिर्फ़ 50 दिन. उनका पारायण इतना शानदार था कि इसने उनका नाम इतिहास में दर्ज कर दिया.

200 साल बाद पारायण कर रचा इतिहास

दुनिया में सिर्फ़ दो दंडक्रम पारायण हुए हैं. एक 200 साल पहले नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने किया था, और अभी का दंडक्रम पारायण वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने काशी में किया था. उन्होंने 2 अक्टूबर से 30 नवंबर तक काशी में दंडक्रम पारायण को लीड किया था.  यह दंडक्रम पारायण वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय, रामघाट, काशी में हुआ था, और पिछले शनिवार को आखिरी चढ़ावा चढ़ाया गया था. वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को सोने का ब्रेसलेट और ₹1,011,116 का कैश प्राइज़ देकर सम्मानित किया गया. यह सम्मान रेखे को श्रृंगेरी शंकराचार्य के आशीर्वाद के तौर पर दिया गया था.

दंडक्रम पारायण क्या है?

दंडक्रम पारायण शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के लगभग 2,000 मंत्रों की पढ़ाई है. वैदिक पाठ के आठ तरीकों में से एक, दंडक्रम पारायण को सबसे मुश्किल माना जाता है. इन मंत्रों को याद किया जाता है और फिर उनका उच्चारण किया जाता है. अपने मुश्किल स्वर पैटर्न और मुश्किल ध्वन्यात्मक बदलावों की वजह से, दंडक्रम को वैदिक पाठ का सबसे खास रत्न माना जाता है. इस तरीके में, श्लोकों को एक साथ, उल्टे और आगे के क्रम में, एक खास स्टाइल में पढ़ा जाता है.

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