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पायलट की जान अब और भी सुरक्षित! DRDO ने किया हाई स्पीड इंजेक्शन सिस्टम का सफल टेस्ट

DRDO Ejection System Test: आज डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने इजेक्शन सिस्टम का टेस्ट किया. यह सिस्टम इमरजेंसी में पायलटों को फाइटर एयरक्राफ्ट से सुरक्षित रूप से इजेक्ट करने में मदद करता है.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-12-02 22:28:45

DRDO Fighter Aircraft Safety Test: चंडीगढ़ में मंगलवार को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने इजेक्शन सिस्टम का टेस्ट किया. यह सिस्टम इमरजेंसी में पायलटों को फाइटर एयरक्राफ्ट से सुरक्षित रूप से इजेक्ट करने में मदद करता है. यह टेस्ट रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज (RTRS) नाम के एक खास लंबे टेस्टिंग ट्रैक पर किया गया, जहां सिस्टम को लगभग 800 km प्रति घंटे की स्पीड तक बढ़ाया गया. इस टेस्ट के दौरान तीन बातों को सफलतापूर्वक वेरिफाई किया गया: क्या एयरक्राफ्ट की कैनोपी ठीक से अलग हुई, क्या इजेक्शन सीट सही क्रम में इजेक्ट हुई और क्या पायलट पूरी तरह से बचा लिया गया. DRDO ने यह टेस्ट ADA (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) और HAL के साथ मिलकर किया. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि बहुत कम देशों के पास इतना मुश्किल टेस्ट करने की क्षमता है, और भारत अब उन चुनिंदा ग्रुप में शामिल हो गया है.

यह टेस्ट खास क्यों है?

स्टैटिक टेस्ट (जहाँ मशीनें एक ही जगह पर रहती हैं) आसान होते हैं, लेकिन डायनामिक टेस्ट असल जिंदगी के हालात की नकल करते हैं. जहां चीज़ें चल रही होती हैं, वे तेज़ स्पीड पर होती हैं.  ऐसे टेस्ट दिखाते हैं कि असली उड़ान में इजेक्शन सीट और पायलट रेस्क्यू टेक्नोलॉजी कितनी भरोसेमंद हैं.

टेस्ट कैसे किया गया?

इस टेस्ट में, तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट की अगली बॉडी को एक ट्रैक पर रखा गया था. इसे रॉकेट मोटर्स का इस्तेमाल करके कंट्रोल्ड स्पीड से तेज़ किया गया. अंदर एक खास डमी रखी गई थी, जो पायलट की नकल कर रही थी और सभी झटकों और प्रेशर को रिकॉर्ड कर रही थी. सभी कैमरों और सेंसर ने दिखाया कि इजेक्शन सीट ठीक से काम कर रही थी. इस टेस्ट को IAF, इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन और कई दूसरे खास इंस्टीट्यूशन ने देखा.

रक्षा मंत्री ने क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, IAF, ADA और HAL को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह टेस्ट भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. बाद में उन्होंने ट्विटर पर इस बारे में जानकारी शेयर की। यह टेस्टिंग ट्रैक क्या करता है? TBRL का 4 किलोमीटर लंबा रॉकेट स्लेज ट्रैक 2014 में बनाया गया था. यह देश की सबसे एडवांस्ड टेस्टिंग फैसिलिटी में से एक है.

यहां कई जरूरी पार्ट्स का टेस्ट किया जाता है, जिसमें ISRO के ह्यूमन मिशन इक्विपमेंट, मिसाइल और एयरक्राफ्ट के लिए नेविगेशन सिस्टम, एडवांस्ड वॉरहेड के लिए फ़्यूज़, आर्मामेंट सिस्टम के लिए फ़्यूज़, पेलोड पैराशूट और एयरक्राफ्ट इंटरसेप्शन सिस्टम शामिल हैं. ISRO ने इसी ट्रैक पर गगनयान मिशन के लिए पैराशूट टेस्ट भी किए थे.

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