Rajendra Prasad Birth Anniversary 2025: भारत हर साल 3 दिसंबर को राजेंद्र प्रसाद जयंती मनाता है, जो भारत के पहले राष्ट्रपति और देश के राजनीतिक इतिहास की एक प्रमुख शख्सियत डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के रूप में मनाया जाता है. एक प्रतिष्ठित नेता, वकील, विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी, डॉ. प्रसाद ने संविधान को तैयार करने में भारत के लोकतंत्र को आकार देने और अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान राष्ट्र का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
इसी दिन 1884 में बिहार के जीरादेई में जन्मे डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख आवाज के रूप में उभरे थे. एक प्रतिभाशाली छात्र राजेंद्र प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया, और अपने तेज कानूनी दिमाग के लिए प्रशंसा अर्जित की है.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद कब राष्ट्रपति बनें?
जब भारत 1950 में एक गणराज्य बना तो उन्हें सर्वसम्मति से संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था. डॉ. प्रसाद 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक भारत के पहले राष्ट्रपति रहे है. अपनी विनम्रता दूर की सोच और ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले है. उन्होंने भारतीय राजनीति और शासन पर एक अमिट छाप छोड़ी है. राष्ट्रपति से रिटायर होने के बाद वह एक्टिव पॉलिटिक्स से हट गए और अपने बाद के साल पटना के सदाकत आश्रम में बिताए है. 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया था.
डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में रोचक बातें.
- 5 साल की उम्र में राजेंद्र प्रसाद को एक मौलवी मुस्लिम स्कॉलर ने पढ़ाया था, क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वे फ़ारसी, हिंदी और मैथ सीखें.
- वे भारत के अकेले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने लगभग 12 साल तक दो पूरे टर्म पूरे किए है.
- आज़ादी की लड़ाई के एक एक्टिविस्ट होने के नाते डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1931 में नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने जेल में डाल दिया था.
- अपना राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्होंने नेशनल कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया और पार्लियामेंटेरियन के लिए नई गाइडलाइंस तय कीं, जिनका आज भी पालन किया जाता है.
- महात्मा गांधी से बहुत ज़्यादा इंस्पायर होकर उन्होंने भारतीय संविधान बनाने में अहम योगदान दिया है.
- वे बिहार के एक कॉलेज में इंग्लिश के प्रोफ़ेसर थे. लेकिन बाद में उन्होंने लॉ में अपना करियर बनाया. पढ़ाई के दौरान उन्होंने कोलकाता के एक कॉलेज में इकोनॉमिक्स पढ़ाया है.
- प्रसाद को 1962 में सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड, भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है.
- जब 1934 में बिहार में भूकंप आया तो प्रसाद जेल में थे. दो दिन बाद उन्हें राहत कामों को लीड करने के लिए रिहा कर दिया गया और उन्होंने बिहार सेंट्रल रिलीफ कमेटी बनाई.
- आज़ादी के आंदोलन के दौरान उन्होंने क्रांतिकारी पब्लिकेशन सर्चलाइट और देश के लिए आर्टिकल लिखे और उन्हें चलाने के लिए फंड जुटाने में मदद की है.
- वे बहुत लिखने वाले लेखक थे, उनकी खास किताबों में इंडिया डिवाइडेड, वर्ड्स ऑफ़ फ़्रीडम, आइडियाज़ ऑफ ए नेशन, राजेंद्र प्रसाद, और एट द फ़ीट ऑफ महात्मा गांधी शामिल है.