क्या किसी महिला की सहमति के बिना उसका वीडियो-फोटो लेना क्राइम है? सुप्रीम कोर्ट की नई रूलिंग से समझें…कब माना जाएगा निजता का हनन!
Supreme Court: देश की सबसे बड़ा कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक केस पर सुनवाई की है. जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर कोई महिला कुछ प्राइवेट काम नहीं कर रही है तो इसकी इजाजत के बिना तस्वीरें और वीडियो लेना किसी तरह के जुर्म के भीतर नहीं आता है. सर्वोच्च न्यायलय में कहा कि “जब महिला निजी कार्य नहीं कर रही है, तो उसकी सहमति के बिना तस्वीरें और वीडियो ले सकते हैं. यह किसी तरह के दंड या जुर्म के भीतर नहीं आता हैं.
बिना इजाजत तस्वीरें और वीडियो लेना क्राइम!
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354C के तहत तांक-झां करने किसी तरह के अपराध के भीतर नहीं आता है. ऐसे ही एक मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मनमोहन की बेंच ने एक आरोपी को बरी कर दिया.
महिला ने लगाया आरोप
महिला ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बिना उसकी सहमती से तस्वीरें और वीडियो लिए हैं. जिसके कारण उसकी प्राइवेसी का हनन हुआ है और साथ ही उसकी इज्जत को भी ठेस पहुंची है.
साल 2020 में दर्ज कराई थी FIR
शिकायत करने वाली महिला ने आरोपी के खिलाफ 19 मार्च साल 2020 में FIR दर्ज कराई थी. यह शिकायत आईपीसी की धारा 341, 354सी और 506 के तहत दर्ज की गई थी. महिला ने 8 मार्च 2020 को अपने दोस्तों औक साथ में काम करने वाले को साथ प्रापर्टी में घुसने की कोशिश की तो आरोपी ने उन्हें भीतर जाने से मना कर दिया था. साथ ही उसे धमकाने की भी कोशिश की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले का समर्थन किया जिसमें अपील करने वाले आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द कर दिया था.
कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को किया स्वीकार
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि "यह साफ तौर पर समझ में आता है, शिकायत में दर्ज तस्वीरें और वीडियो बनाने का आरोप PC की धारा 354C अपराध के भीतर नहीं आता है.
बिना इजाजत तस्वीरें लेना क्राइम नहीं
कोर्ट में इस मामले में पाया कि वॉयरिज्म के अपराध की जरूरी बातें नहीं बनतीं, क्योंकि तस्वीरें और वीडियो लेना वाला आपकी प्राइवेसी में दखल नहीं दे रहा है. क्योंकि आपकी निजि या प्राइवेट तस्वीरें या वीडियो नहीं ली है.