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गरीबी नहीं रोक पाई जज़्बा! पिता रिक्शा चलाते रहे, बेटा UPSC टॉपर बनकर उभरा

UPSC Success Story: गोविंद जयसवाल ने कठिन हालात और आर्थिक संघर्षों के बावजूद 22 साल की उम्र में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास कर IAS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया. उनकी इस सफलता के पीछे पिता का सबसे बड़ा हाथ है.

Written By: Mohammad Nematullah
Last Updated: December 6, 2025 11:16:27 IST

IAS Govind Jaiswal: हर साल लाखों छात्र भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली UPSC सिविल सेवा परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन कुछ ही उम्मीदवार सफल हो पाते है. इन सफल उम्मीदवारों में गोविंद जायसवाल भी शामिल है. जिन्होंने सिर्फ 22 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर ली और ऑल इंडिया रैंक 48 हासिल की है. ​​उनकी कहानी न केवल संघर्ष और कड़ी मेहनत का उदाहरण है, बल्कि सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे हर उम्मीदवार के लिए एक प्रेरणा भी है.

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ से प्रेरणा

दरअसल गोविंद जायसवाल का जीवन संघर्षों से भरा था. अपनी पढ़ाई के दौरान वे ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ फिल्म से बहुत प्रेरित हुए. इस फिल्म ने उनके अंदर यह जुनून जगाया कि हालात चाहे जो भी हों, उन्हें एक दिन IAS ऑफिसर बनना ही है.

पिता बने सफलता के सबसे बड़ेC सपोर्ट

गोविंद के पिता नारायण जायसवाल ने उनके सपनों को पूरा करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वाराणसी में रहने वाला यह परिवार बहुत ही कमजोर आर्थिक स्थिति में था. लेकिन अपने बेटे की शिक्षा और सपनों के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया है.

मां का जल्दी निधन

गोविंद के जीवन में एक बड़ी मुश्किल तब आई जब 1995 में उनकी मां का निधन हो गया. मां के इलाज के लिए उनके पिता को अपने 35 में से 20 रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन वे अपनी पत्नी की जान नहीं बचा पाए. मां की मौत के बाद गोविंद के परिवार पर और भी जिम्मेदारियां आ गई.

रिक्शा मालिक से रिक्शा चालक बने

धीरे-धीरे हालात और भी मुश्किल होते गए. जब ​​गोविंद UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जाना चाहते थे (2004-05), तो उनके पास पैसे नहीं थे. इस मुश्किल को दूर करने के लिए उनके पिता नारायण ने अपने बाकी बचे 14 रिक्शे भी बेच दिए. अब उनके पास सिर्फ एक रिक्शा बचा था, जिसे वे खुद चलाने लगे. यानी जो आदमी कभी कई रिक्शों का मालिक था, वह अपने बेटे की पढ़ाई के लिए रिक्शा चालक बन गया.

संघर्ष के बीच बड़ी सफलता

आखिरकार गोविंद के पिता की कड़ी मेहनत और त्याग रंग लाया. उनके बेटे ने किसी भी मुश्किल को अपने रास्ते में नहीं आने दिया. पैर की बीमारी से परेशान होने के बावजूद गोविंद ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 2006 में अपने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास करके IAS ऑफिसर बन गए.

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