Sankashti Chaturthi Vrat Date 2025: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है, इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा का विधान है. कई लोग इस दिन व्रत भी रखती है. कहा जाता है इस दिन ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैंं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है..
कब है पौष महीने की संकष्टी चतुर्थी? (Sankashti Chaturthi Vrat Kab Hai)
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 7 दिसंबर के दिन शाम 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन 8 दिसंबर के दिन शाम 4 बजकर 03 मिनट तक रहेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करने का विधान है. इसलिए कल यानी 7 नवंबर के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा. 7 नवंबर के दिन चंद्र दर्शन का समय संध्याकाल 7 बजकर 55 मिनट पर होगा.
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से मिलती है चंद्र दोष से मुक्ति?
हिंधू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) करने से जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष होता है, वो खत्म हो जाता है. इसलिए इस दिन को हिंधू धर्म में विषेश माना जाता है.
संकष्टी चतुर्थी पर जरूर करें ये उपाय (Sankashti Chaturthi Upay)
संकष्ठी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi Vrat) के दिन भगवान गणेश जी की पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा के बाद गणेश जी को मोदक का भोग लगाना चाहिए. पूजा में उन्हें दूर्वा भी अर्पित करनी चाहिए. इसके अलावा संकष्ठी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा में गणेश चालीसा का पाठ करने के साथ मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से कुंड़ली में बुध ग्रह मजबूत होता है, बुद्धि, तर्क, संवाद, व्यापार, त्वचा और वाणी से जुड़ा है.
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