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PM Modi on Vande Mataram in Lok Sabha: लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह पर एक खास चर्चा शुरू करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सिर्फ़ एक गाना नहीं, बल्कि भारत के आज़ादी आंदोलन की आत्मा और एक ऐसा मंत्र बताया जिसने देश को बलिदान और तपस्या के रास्ते पर गाइड किया है. उन्होंने कहा कि यह संसद और देश के लोगों के लिए गर्व का पल है कि वे वंदे मातरम के 150वें साल के इस ऐतिहासिक पड़ाव को देख रहे है. PM ने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम के खिलाफ मुस्लिम लीग के तर्कों का सही जवाब नहीं दिया है. कांग्रेस ने वंदे मातरम को बांट दिया है.
लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
- तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा. दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी हैं. INC चलते-चलते MMC हो गया है.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा कि अंग्रेजों ने बांटों और राज करो, इस रास्ते को चुना और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया क्योंकि वो भी जानते थे कि वो एक वक्त था जब बंगाल का बौद्धिक सामर्थ्य देश को दिशा, ताकत, प्रेरणा देता था. पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेज भी जानते थे कि बंगाल का यह जो सामर्थ्य है वो पूरे देश की शक्ति का एक केंद्र बिंदु है और इसलिए अंग्रेजों ने सबसे पहले बंगाल के टुकड़े करने की दिशा में काम किया। अंग्रेजों का मानना था कि एक बार बंगाल टूट गया तो यह देश भी टूट जाएगा…1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया लेकिन जब अंग्रेजों ने 1905 में यह पाप किया तो वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा. बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम् गली-गली का नाद बन गया था और वो ही नारा प्रेरणा देता था.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा कि हम देशवासियों को गर्व होना चाहिए कि दुनिया के इतिहास में कहीं पर भी ऐसा कोई काव्य नहीं हो सकता. ऐसा कोई भाव गीत नहीं हो सकता जो सदियों तक एक लक्ष्य के लिए कोटि-कोटि जनों को प्रेरित करता हो. पूरे विश्व को पता होना चाहिए कि गुलामी के कालखंड में भी ऐसे लोग हमारे यहां पैदा होते थे जो इस प्रकार के भावगीत की रचना कर सकते थे, यह विश्व के लिए अजूबा है.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा कि हम लोगों पर वंदे मातरम् का कर्ज है. वही वंदे मातरम है जिसने वो रास्ता बनाया जिस रास्ते से हम यहां पहुंचे हैं और इसलिए हमारा कर्ज बनता है. भारत हर चुनौतियों को पार करने में सामर्थ्य है. वंदे मातरम् सिर्फ गीत या भावगीत नहीं, बल्कि यह हमारे लिए प्रेरणा है. हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को लेकर चल रहे हैं और इसको पूरा करने के लिए वंदे मातरम् हमारी प्रेरणा है. हम स्वदेशी आंदोलन को ताकत देना चाहते हैं. समय बदला होगा, रूप बदले होंगे लेकिन पूज्य गांधी ने जो भाव व्यक्त किया था उस भाव की ताकत आज भी मौजूद है और वंदे मातरम् हमें जोड़ता है.
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि जो वंदे मातरम् 1905 में महात्मा गांधी को राष्ट्रगान के रूप में दिखता था. वंदे मातरम् इतना महान था. इसकी भावना इतनी महान थी तो फिर पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? वह कौनसी ताकत थी जिसकी इच्छा पूज्य बापू की भावना पर भारी पड़ गई जिसने वंदे मातरम् जैसी पवित्र भावना को विवादों में घसीट दिया.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने जब वंदे मातरम् की रचना की तो स्वभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया. पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण तक वंदे मातरम् हर भारतीय का संकल्प बन गया.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि बंगाल का विभाजन तो हुआ लेकिन बहुत बड़ा स्वदेशी आंदोलन हुआ और तब वंदे मातरम् हर जगह गूंज रहा था. अंग्रेज समझ गए थे कि बंगाल की धरती से निकला बंकिम बाबू का यह भाव सूत्र जो उन्होंने तैयार किया था उसने अंग्रेजों को हिला दिया था. इस गीत की ताकत इतनी थी कि अंग्रेजों को इस गाने पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा था. गाने और छापने पर ही नहीं वंदे मातरम् शब्द बोलने पर भी सज़ा होती है. इतने कठोर कानून लागू किए थे कि लोगों को जेल जाना पड़ जाता था.
- प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने जब वंदे मातरम् की रचना की तो स्वभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का स्वर बन गया. पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण तक वंदे मातरम् हर भारतीय का संकल्प बन गया.
- संसद का शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि वंदे मातरम् की शुरुआत बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में की थी. यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी. भारत पर भांति-भांति के दबाव डाल रही थी, भांति-भांति के जुल्म कर रही थी. उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने से रोकने का काम चल रहा था. ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ.