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Delhi-NCR के लिए स्वदेशी सुदर्शन चक्र तैयार, अब मिसाइल ड्रोन हमलो का खत्म होगा खेल

India Indigenous Air Defense System: भारत अब मिसाइलों, ड्रोन और फाइटर जेट हमलों जैसे खतरों से राजधानी दिल्ली-NCR को बचाने के लिए अपना खुद का मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम लगाने जा रहा है.

Written By: shristi S
Last Updated: December 10, 2025 15:38:44 IST

Delhi NCR Air Defense Shield: भारत अब मिसाइलों, ड्रोन और फाइटर जेट (Fighter Jet) हमलों जैसे खतरों से राजधानी दिल्ली-NCR (Delhi-NCR) को बचाने के लिए अपना खुद का मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम लगाने जा रहा है. रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है. रक्षा अधिकारियों के अनुसार, नया इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) पूरी तरह से देश में बने हथियारों से बनाया जाएगा. इस सिस्टम के मुख्य हिस्से DRDO द्वारा विकसित QRSAM मिसाइल और VSHORADS होंगे. इन्हें कई तरह के सेंसर, रडार और एक आधुनिक कंट्रोल सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा ताकि किसी भी खतरे की तुरंत निगरानी की जा सके. पूरा सिस्टम भारतीय वायु सेना द्वारा ऑपरेट किया जाएगा. IADWS का 23 अगस्त को सफल परीक्षण किया गया था.

सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा

IADWS एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम है जो दुश्मन के हवाई हमलों को रोकेगा। इसे सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा माना जाता है। यह झुंड (एक साथ लॉन्च किए गए कई ड्रोन) ड्रोन हमलों से सुरक्षा कवच प्रदान करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की थी. इसके बाद, 23 अगस्त को ओडिशा के तट पर IADWS का सफल परीक्षण किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए X पोस्ट में लिखा कि इस परीक्षण ने हमारे देश की मल्टी-लेयर एयर डिफेंस क्षमता को बढ़ाया है. यह सिस्टम दुश्मन के हवाई खतरों के खिलाफ क्षेत्रीय रक्षा को मजबूत करेगा. 

एक साथ 3 लक्ष्यों को नष्ट किया

इस सिस्टम के सफल परीक्षण से भारत की इग्ला और CIWS जैसे विदेशी रक्षा प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी. परीक्षण के दौरान, सिस्टम ने तीन अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला किया, जिसमें दो हाई-स्पीड फिक्स्ड-विंग मानवरहित ड्रोन और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन शामिल थे. ये तीनों लक्ष्य अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर थे. IADWS ने तीनों को एक साथ निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया. सिस्टम का कॉन्सेप्ट इस तरह से डिजाइन किया गया है कि रडार यूनिट पहले आने वाले खतरों की निगरानी करती है और उन्हें वर्गीकृत करती है। फिर कमांड सेंटर हाई-एल्टीट्यूड खतरों से निपटने के लिए क्विक एक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइलों (QRSAM) को निर्देश देता है.

कम दूरी और धीमी गति से चलने वाले हमलों के लिए एडवांस्ड वेरी शॉर्ट एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलें (VSHORADS) सक्रिय की जाती हैं. ड्रोन और चिप-सैचुरेटेड हमलों के लिए लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (DEWs) भी तैनात किए जाते हैं. यह स्वदेशी सिस्टम अमेरिका के महंगे NASAMS-II सिस्टम की जगह लेगा. भारत ने शुरू में अमेरिकी NASAMS-II सिस्टम खरीदने पर विचार किया था, जो वाशिंगटन DC और व्हाइट हाउस की सुरक्षा करता है. बातचीत हुई, लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा थी. इसके बाद, सरकार ने पूरी तरह से स्वदेशी विकल्प अपनाने का फैसला किया. इस कदम को “मेक इन इंडिया” रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी प्रगति माना जा रहा है.

DRDO की अहम भूमिका

DRDO मिसाइल सिस्टम को रडार, डेटा लिंक और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए ज़िम्मेदार होगा. अधिकारियों के अनुसार, ऐसे जटिल एयर डिफेंस सिस्टम के लिए कई सिस्टम को इंटीग्रेट करने की ज़रूरत होती है.

भारत के पास आकाश तीर डिफेंस सिस्टम 

पंजाब के आदमपुर एयरबेस से 13 मई को PM मोदी ने जिस एयर डिफेंस सिस्टम की तारीफ़ की थी, वह भारत का आकाश तीर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है. इसका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान से आने वाले सैकड़ों ड्रोन, मिसाइलों और रॉकेटों को हवा में ही मार गिराने के लिए किया गया था। इसे भारत का आयरन डोम कहा गया है. आकाश तीर एक स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-पावर्ड एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर भारतीय सेना के लिए डिजाइन और विकसित किया है.

इसका काम निचले स्तर के एयरस्पेस की निगरानी करना और जमीन पर आधारित एयर डिफेंस हथियार प्रणालियों को कंट्रोल करना है. आकाश तीर रडार, सेंसर और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटीग्रेट करके एक सिंगल नेटवर्क बनाता है जो रियल टाइम में हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम है. मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा भारतीय क्षेत्र को निशाना बनाने की कोशिश की खबरों के बाद राजधानी की हवाई सुरक्षा को और मजबूत करने की ज़रूरत महसूस हुई. इसके बाद इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी गई.

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