Trump Gold Card: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज ‘ट्रंप गोल्ड कार्ड’ वीजा प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसके लिए आवेदक आज से आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए कीमत इंडिविजुअल्स के लिए 1 मिलियन डॉलर यानी करीब 8.97 करोड़ रुपए और कंपनियों के लिए 2 मिलियन डॉलर तय की गई है. इससे कार्ड धारकों को ग्रीन कार्ड जैसे अधिकार मिलेंगे और अमेरिका में उन्हें ज्यादा लंबे समय तक रहने, काम करने या पढ़ने की अनुमती मिलेगी. यह कार्ड खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो अमीर है, इन्वेस्टर्स है, बिजनेसमैन है या टैलेंटेड प्रोफेशनल्स है. इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इस कार्ड से सरकारी खजाना तेजी से भरेगा. हालांकि, शुरुआत में गोल्ड कार्ड की कीमत 5 मिलियन डॉलर यानी 42 करोड़ रुपये थी, जिसे सितंबर में घटाकर 1 मिलियन डॉलर किया गया.
ट्रम्प गोल्ड कार्ड की खास बातें क्या है?
अभी तक अमेरिका में रहने के इच्छुक लोगों के लिए कई तरह के वीजा प्रोग्राम होते हैं. EB-1, EB-2, EB-3, EB-4 और EB-5. लेकिन इनमें से EB-5 वीजा इन्वेस्टर्स के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें नियोक्त की जरूरत नहीं होती है, और आप अमेरिका में कहीं भी रह सकते हैं. इस कार्ड के रहते आपका काम हो या पढ़ाई हो, इस पर कोई रोक नहीं लगती है और यह कार्ड 4 से 6 महीनों में प्रोसेस हो जाता है. गोल्ड कार्ड भी लगभग इसी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है लेकिन इसमें पहले के मुकाबले काफी आसान रास्ता अपनाया है.
गोल्ड कार्ड ग्रीन कार्ड से अलग कैसे है?
ग्रीन कार्ड लेने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और बहुत मुश्किल भरा भी होता है. कई बार तो इसको मिलने में 10-15 साल तक भी इंतजार करना पड़ता है. लेकिन गोल्ड कार्ड में ऐसा बिल्कुल नहीं है. गोल्ड कार्ड में कागजी कार्वाइ कम होती है, वेटिंग पीरियड भी कम होता है, निवेश की राशी तय होती है और नागरिकता मिलने की संभावना ज्यादा होती है. इन्हीं सब कारणों की वजह से इसे ग्रीन कार्ड का आसान वर्जन कहा जाता है.
नए गोल्ड कार्ड की शर्तें क्या है?
नए गोल्ड कार्ड को बनवाने के लिए कुछ ऐसी शर्तें लाई गई हैं, जिससे अमेरिका में रहने के लिए आपको महंगी रकम चुकानी पड़ेगी। नए नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन करता है तो उसे अमेरिकी खजाने में 10 लाख डॉलर (1 मिलियन डॉलर) की कीमत चुकानी पड़ेगी. वहीं, किसी कंपनी की ओर से स्पॉन्सर किए गए आवेदक को 20 लाख डॉलर देना पड़ेगा. साथ ही 15,000 डॉलर की नॉन-रिफंडेबल प्रोसेसिंग फीस भी होगी.