Gangotri Highway widening Protests: गंगोत्री इलाके में हाईवे को चौड़ा करने को लेकर लोकल लोगों और एनवायरनमेंटलिस्ट का विरोध तेज़ हो गया है. बड़ी संख्या में एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट झाला से भैरवघाटी तक प्रस्तावित कटिंग एरिया में पहुंचे और पेड़ों को बचाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की. उन्होंने पेड़ों पर पवित्र धागे बांधे, जिससे यह संदेश गया कि डेवलपमेंट के नाम पर नेचर से समझौता नहीं किया जा सकता.
पेड़ों के बचाव के लिए इमोशनल अपील
एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट का कहना है कि गंगोत्री घाटी सिर्फ़ एक रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है, बल्कि हिमालय के नाज़ुक इकोसिस्टम का एक ज़रूरी हिस्सा है. यहां पेड़ों को काटने से न सिर्फ़ लोकल क्लाइमेट और वॉटर बैलेंस पर असर पड़ेगा, बल्कि इलाके की बायोडायवर्सिटी पर भी गहरा असर पड़ेगा.
क्या चाहते हैं लोकल लोग?
लोकल लोगों का कहना है कि सड़क को चौड़ा करना ज़रूरी है, लेकिन ऐसे ऑप्शन भी तलाशे जाने चाहिए जिनसे पेड़ों की कटाई कम से कम हो. उनका तर्क है कि हर साल लैंडस्लाइड की संभावना वाले पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से अस्थिरता और बढ़ सकती है. कई गांववालों ने चेतावनी दी कि अगर दूसरे तरीकों पर विचार नहीं किया गया, तो विरोध और तेज़ हो जाएगा.
पर्यावरण संतुलन पर सवाल
गंगोत्री हाईवे चारधाम यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए ज़रूरी है, लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि सड़क चौड़ी करने के लिए मौजूदा भूगोल, नदी वाले इलाकों और पहाड़ों की संवेदनशीलता की स्टडी करने की ज़रूरत है. उनका कहना है कि पर्यावरण पर असर का असेसमेंट पब्लिक किए बिना कटिंग की इजाज़त देने से ट्रांसपेरेंसी पर सवाल उठते हैं.
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि गंगोत्री जैसी संवेदनशील घाटी में सड़क चौड़ी करने के बजाय टनल बनाने, वर्टिकल बढ़ाने या सुरक्षित कटिंग तकनीक जैसे मॉडर्न विकल्प अपनाए जा सकते हैं. इनसे पर्यावरण को होने वाला नुकसान कम होगा और हाईवे की सुरक्षा बढ़ेगी.