प्रयागराज के पवित्र संगम तट पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला माघ मेला इस जनवरी में एक नए जीवंत रूप में सामने आने वाला है.
प्रशासन ने बताया कि इस वर्ष तीर्थयात्रियों और आगंतुकों को मानव शरीर के सात ऊर्जा केंद्रों, या चक्रों, के विषय पर केंद्रित करके एक आकर्षक दृश्य और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करने की योजना बनाई है.
दिव्य स्नान का आयोजन
3 जनवरी से 15 फरवरी तक फैले इस एक मासिक अनुष्ठान में छह प्रमुख स्नान दिवस होंगे जो दिव्य कृपा बरसाएंगे. माघ मेला पौष पूर्णिमा (3 जनवरी) से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि (15 फरवरी) तक चलेगा. इसके प्रमुख स्नान में मकर संक्रांति (15 जनवरी), मौनी अमावस्या (18 जनवरी), माघ पूर्णिमा (23 जनवरी) और अंत में महाशिवरात्रि (15 फरवरी) शामिल है. इन स्नानों में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं, रोग नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति निश्चित हो जाती है. ऐसी मान्यता है कि संगम का जल अमृत समान है—यह न केवल शरीर शुद्ध करता, बल्कि कर्मबंधनों को भी काटता है.
कल्पवास: आत्मा की ईश्वरीय साधना
माघ मेला का हृदय है कल्पवास—संगम तट पर पूर्णिमा से अमावस्या तक एक माह की तपस्या। कल्प यानी कल्पांत, अर्थात् अनंत काल. यहां भक्त इंद्रियों पर विजय पाते हैं, एकादशी पर उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन, मंत्र जाप और ध्यान में लीन रहते हैं. अनाज त्यागकर फलाहार पर निर्भर रहना, हवन-दान करना, ये सब आत्मशुद्धि के मार्ग प्रशस्त करते हैं. मान्यता है कि इस साधना से गलतियों का प्रायश्चित होता है, पुनर्जन्म का चक्र टूटता है.
ऊर्जा के सात चक्रों की थीम पर होगा माघ मेला 2026
2026 का माघ मेला सात चक्रों की थीम पर आधारित होगा. सात रंग ऊर्जा के सात चक्रों को प्रदर्शित करते हैं. रंग-बिरंगे द्वार, केसरिया पोंटून, एलईडी झंडियां और जगमगाती फव्वारे आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक बनेंगे . यह भव्य सज्जा न केवल दृष्टि को आकर्षित करेगी, बल्कि चक्र जागरण की ईश्वरीय शक्ति को भी प्रदर्शित करेगी. संगम पर उतरते ही भक्त सातों चक्रों के संतुलन में लीन हो जाएंगे, जहां हर रंग भगवान की लीला का संकेत है. प्रयागराज आधुनिकता और परंपरा का दिव्य संगम बनने और लाखों श्रद्धालुओं करने तैयार है.
भक्तों के लिए होगी भव्य व्यवस्था
प्रदेश सरकार इस आयोजन को भव्य और सहज बनाने हेतु सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात और चिकित्सा की बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है. आठ स्थानों से रोडवेज बसें—सिविल लाइंस, झूंसी, बेला कचार, नेहरू पार्क आदि—लखनऊ, दिल्ली, वाराणसी तक पहुंचाएंगी. अस्थायी बस अड्डे, चक्र छत्र वाले नौका घाट और रंगीन ड्रेसिंग रूम भक्तों का स्वागत करेंगे.