H3N2 सुपर फ्लू का साया! ब्रिटेन और पाकिस्तान में बढ़े मामले, जानें क्या पड़ेगा भारत पर इसका प्रभाव?
H3N2 सुपर फ्लू क्या है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) के अनुसार, यह वायरस इन्फ्लूएंज़ा A का एक म्यूटेटेड रूप है, जिसे सब-क्लेड कहा जा रहा है. इसे सुपर फ्लू इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें कुछ जेनेटिक बदलाव देखे गए हैं. WHO का कहना है कि यह कोई नया वायरस नहीं है, और न ही मौजूदा आंकड़े यह बताते हैं कि इससे पहले से ज़्यादा गंभीर बीमारी होती है. हालांकि, इसकी खास बात यह है कि यह सामान्य फ्लू के मौसम से पहले ही तेज़ी से फैल रहा है.
ब्रिटेन और पाकिस्तान में चिंताएं क्यों बढ़ रही हैं?
हाल के दिनों में ब्रिटेन में इस फ्लू के मामलों में अचानक बढ़ोतरी हुई है. वहां अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या पिछले साल के मुकाबले काफी ज़्यादा है. डेटा के अनुसार, फ्लू के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में 50 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है. सबसे ज़्यादा संक्रमण 5 से 14 साल के बच्चों और 15 से 24 साल के युवाओं में देखा गया है.
H3N2 सुपर फ्लू के लिए टीका लगाने की अपील
H3N2 सुपर फ्लू की स्थिति को देखते हुए, UK की नेशनल हेल्थ सर्विस ने बुज़ुर्गों, बच्चों और ज़्यादा जोखिम वाले लोगों से जल्द से जल्द फ्लू का टीका लगवाने की अपील की है.
पाकिस्तान में कौन से लोग इस H3N2 सुपर फ्लू का हो सकते है शिकार?
यूरोप के बाद, H3N2 सुपर फ्लू स्ट्रेन की पुष्टि पाकिस्तान में भी हुई है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सावधानी जरूरी है. पाकिस्तान में यह वायरस कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों, बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए ज़्यादा खतरनाक हो सकता है.
H3N2 सुपर फ्लू को लेकर क्या है एक्सपर्ट्स का कहना?
H3N2 सुपर फ्लू को लेकर एक्सपर्ट्स ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर फ्लू निमोनिया में बदल जाता है, तो मरीज़ों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.
भारत में H3N2 सुपर फ्लू का कितना है खतरा?
भारत में भी इस खतरे को माना जा रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच मौसम का पैटर्न, हवा की दिशा और लोगों की आवाजाही काफी हद तक एक जैसी है. इसके अलावा, सर्दियों का मौसम, जिसमें कोहरा, प्रदूषण, भीड़भाड़ वाली जगहें, स्कूलों में बच्चों का एक-दूसरे के संपर्क में आना और यात्रा में बढ़ोतरी, वायरस फैलने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं.
भारत में एक्सपर्ट्स का H3N2 सुपर फ्लू पर क्या है मानना?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर पड़ोसी देश में वायरस फैल रहा है, तो भारत में भी मामले सामने आने की पूरी संभावना है. इसके अलावा, भारत में पहले भी H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामले सामने आ चुके हैं. इसलिए, भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम इस वायरस से पूरी तरह अनजान नहीं है. देश में फ्लू सर्विलांस सिस्टम मौजूद है, अस्पतालों में टेस्टिंग की सुविधाएँ उपलब्ध हैं, और डॉक्टर लक्षणों की पहचान करने में सक्षम हैं. हालांकि, भारत में फ्लू वैक्सीनेशन की कम दर एक बड़ी चिंता का विषय है, खासकर बुजुर्गों और हाई-रिस्क ग्रुप्स के बीच. एक्सपर्ट्स यह भी सलाह देते हैं कि 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों, डायबिटीज, दिल और फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को ज़्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.