AI-आधारित प्रोडक्टिविटी पर ज़ोर देना भारतीय IT कंपनियों के लिए मौका भी है और जोखिम भी है. भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव अब देखने को मिल रहा है और यह कार्यस्थलों को तेजी से बदल भी रहा है. डेटा एंट्री से लेकर रिसर्च तक कई तरह की नौकरियां मशीनों द्वारा स्वतः पूरी की जा रही हैं. वेशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में AI के कारण कई जॉब प्रोफाइल खत्म हो जाएंगी, जबकि कुछ नई नौकरियां तेजी से उभरेंगी.
बिलिंग मॉडल पर सीधा असर पडेंगी
भारतीय IT कंपनियाँ परंपरागत रूप से घंटों/मैनपावर के हिसाब से बिलिंग करती रही हैं. AI से काम तेज़ हो रहा है. इससे कम लोग होते हैं, कम समय लगता है और बिलिंग भी कम होता है. लेकिन. रेवेन्यू ग्रोथ दबाव में आ सकती है
क्लाइंट खुद AI अपना रहे हैं
विदेशी क्लाइंट अब अपने इन-हाउस AI टूल्स बना रहे हैं. वे IT कंपनियों पर निर्भरता कम कर रहे हैं. लेकिन, इससे आउटसोर्सिंग प्रोजेक्ट घट सकते हैं
लो-स्किल जॉब्स पर खतरा
AI कोडिंग, टेस्टिंग, सपोर्ट जैसे काम कर रहा है. इससे फ्रेशर्स, लो-लेवल इंजीनियर्स, की मांग घट रही है. इससे हायरिंग स्लो हो रही है, रिस्क ऑफ ले-ऑफ बढ़ रहा है.
ट्रेनिंग और अपस्किलिंग का खर्च
AI अपनाने के लिए कर्मचारियों को बार-बार ट्रेन करना पड़ता है और यह भारी लागत है, जिसका रिटर्न तुरंत नहीं मिलता है. इससे मार्जिन पर दबाव बनता है.
टॉप AI टैलेंट की कमी
भारत में एडवांस AI/GenAI एक्सपर्ट्स की भारी कमी हैं, वे बहुत महंगे, जल्दी जॉब बदलने वाले है. इससे प्रोजेक्ट डिलीवरी में जोखिम की समस्या हो सकती है.
क्लाइंट की कीमत घटाने की मांग
क्लाइंट का कहना है कि AI से काम तेज़ हो रहा है, तो फीस कम करने की बात चल रही है. लेकिन इससे प्राइस नेगोशिएशन मुश्किल होता है और प्रॉफिट मार्जिन घटता है
ग्लोबल टेक कंपनियों से सीधी टक्कर
अब मुकाबला सिर्फ IT कंपनियों से नहीं है बल्कि Microsoft, Google, OpenAI जैसी ग्लोबल AI फर्म्स से है. भारतीय IT कंपनियाँ सर्विस प्रोवाइडर से प्रोडक्ट कंपनी बनने के दबाव में रहने लगी है.