ISRO BlueBird-6: ISRO के नाम बहुत जल्द ही एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है, जो कि एक बहुत बड़ी कामयाबी है. इसके बाद इसका नाम दुनिया के दिग्गजों में शामिल हो सकता है. इसमें भारत अमेरिका के एक सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ले जाने में सहायता करेगा. भारतीय LVM3 रॉकेट इस अमेरिकी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाएगा.
ISRO ने ब्लूबर्ड-6 के लॉन्च की तारीख बदलकर 21 दिसंबर कर दी है। यह उपग्रह वैश्विक ब्रॉडबैंड के लिए अमेरिका का सबसे भारी उपग्रह तैनात करने जा रहा है. पहले इसे 15 दिसंबर को लॉन्च करने की योजन थी. इस उपग्रह का वजन 6.5 टन है और इसे ISRO के LVM3 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.
BlueBird-6 की लॉन्च में दरी की वजह क्या है?
ISRO के मुताबिक, BlueBird-6 उपग्रह के भारी वजन और इसमें लगे करोड़ो की लागत को ध्यान में रखते हुए इसके सिस्टम का पूरी तरह से जांच करना बहुत जरूरी है. इसमें लगने वाला समय आपको परेशान कर सकता है लेकिन थोड़े-बहुत बदलाव सफल लॉन्च की संभावना को और ज्यादा अच्छा बना सकते हैं. छोटी-बड़ी कमियों को दूर करने के लिए लॉन्च के तारीख में बदलाव किया गया है.
BlueBird-6 है क्या?
BlueBird-6 एक अमेरिकी कमर्शियल संचार सैटेलाइट है जिसे AST SpaceMobile, टेक्सास स्थित कंपनी ने बनाया है. इसे अब तक का सबसे भारी अमेरिकी कमर्शियल सैटेलाइट माना जा रहा है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के LVM3 (बाहुबली) रॉकेट से कमर्शियल कक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. ब्लूबर्ड-6 को 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत भेजा गया था, जिसके बाद इसे लॉन्च की तैयारियों के लिए श्रीहरिकोटा ले जाया गया.
BlueBird-6 की खासियत क्या है?
BlueBird-6 उपग्रह का लक्ष्य उन क्षेत्रों में सीधे डिवाइस तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी स्थापित करना है, जहां अभी तक यह सुविधा नहीं पहुंची है. यह विकसित तकनीक उपग्रह को ग्राउंड स्टेशन की जरूरतों के बिना सीधे मोबाइल उपकरणों पर ब्रॉडबैंड सिग्नल भेजने में सक्षम बनाती है.