सुप्रीम कोर्ट ने NHAI को क्या कहा?
MCD के वकील ने क्या तर्क दिया?
MCD के वकील ने तर्क दिया कि अपने खर्चों को पूरा करने के लिए टोल कलेक्शन जरूरी है. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि आप रेवेन्यू के लिए कनॉट प्लेस में भी टोल कलेक्शन शुरू कर सकते हैं. लोग प्रदूषण से परेशान हैं. हमें जनता के हित के बारे में सोचना होगा. चीफ जस्टिस ने यह भी सुझाव दिया कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को हर साल 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक टोल कलेक्शन बंद कर देना चाहिए. इसके कारण होने वाले फाइनेंशियल नुकसान की भरपाई के लिए एक प्लान बनाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह सिर्फ तुरंत के उपायों के बजाय लॉन्ग-टर्म समाधानों पर चर्चा करना चाहता है. कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और NCR राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान) को इन पॉइंट्स पर काम करने का निर्देश दिया:
- गाड़ियों के ट्रैफिक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतर मैनेजमेंट
- इंडस्ट्रियल प्रदूषण में कमी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना
- किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए इंसेंटिव देना
- प्रदूषण के कारण कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के बंद होने से प्रभावित मजदूरों को इनकम और वैकल्पिक रोजगार देना
- घरेलू गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम करना
- पेड़ लगाकर ग्रीन कवर बढ़ाना
- जनता में जागरूकता बढ़ाना
- कोई भी अन्य कदम जो CAQM जरूरी समझे
कोर्ट ने ये मांगे भी उठीं
बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को सुनवाई के दौरान, कुछ राज्यों ने कोर्ट को बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम पर बैन से प्रभावित मजदूरों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं. चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि सीधे पैसे ट्रांसफर करना काफी नहीं है. मजदूरों का अक्सर शोषण होता है. जब पैसा उनके खातों में जमा होता है, तो उनसे ले लिया जाता है. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर अपने खातों में जमा पैसे किस्तों में निकाल सकें. इससे उन्हें कुछ दिनों तक अपने खर्च मैनेज करने में मदद मिलेगी. दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुईं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह कोर्ट की चिंताओं को राज्यों तक पहुंचाएंगी.