India News Manch 2025: आईटीवी नेटवर्क के बैनर तले ‘इंडिया न्यूज मंच’ 2025 में पधारे राज्यसभा सांसद और मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी भी पहुंंचे. सवाल-जवाब के दौरान इमरान ने बड़ी ही बेबाकी से जवाब दिए. अपने संबोधन के अंत में उन्होंने शायरी की चुनिंदा पंक्तियों से समां बांध दिया.
पर्यटन करने नहीं सेमीनार में शामिल होने गए हैं राहुल गांधी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन देशों के दौरे पर गए तो इस बीच राहुल गांधी भी विदेश चले गए? एंकर के इस सवाल पर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि मीडिया नरेटिव सेट करने में लग जाता है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी गए तो मीडिया ने सवाल नहीं किया, लेकिन राहुल गांधी विदेश गए तो सवाल उठ गए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी विदेश पर्यटन करने नहीं गए बल्कि सेमीनार में शामिल होने गए हैं.
शायरी से बांधा समां
एंकर के अनुरोध पर प्रख्यात शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ‘पूछता है तिलक से वजू चीखकर.., आमने-सामने रूबरू चीखकर.., लड़ के दंगों में जिसको बहाया गया, पूछता है हमारा लहू चीखकर, जब तेरा और मेरा एक ही रंग है, फिर बताओ भला किसलिए जंग है.’ सुनाई तो दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया. बता दें कि इमरान प्रतापगढ़ी देश के जाने-माने शायर हैं. वह अपनी शायरी से सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर लगातार प्रहार करते रहते हैं. इसके अलावा संसद में कई बार अपनी शायरी से इस कदर हमला बोलते हैं कि सत्ता पक्ष के लोग भी सराहना करने से नहीं चूकते. यह बात उन्होंने बुधवार ‘इंडिया न्यूज मंच’ पर बताई.
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की तारीफ की
‘इंडिया न्यूज मंच’ पर बतौर मेहमान पहुंचे राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि राहुल गांधी बेहद ईमानदार हैं. उनकी एक खूबी यह है कि वह नफरत की राजनीति नहीं करते हैं. उन्होंने एक वाकया का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि मैं नफरत की राजनीति कर ही नहीं सकता है. वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में कहा कि वह इतनी उम्र में भी इतने ऊर्जावान है. एक-एक घंटे संसद में बोलना कम बड़ी बात नहीं है. उनकी जैसी ऊर्जा तो युवाओं में नजर नहीं आती है.
संसद में देते हैं जोरदार भाषण
वहीं, इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी ने चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव से जब पहले महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये डालकर वोट खरीदा गया हो तो कैसा चुनाव सुधार और कैसी बहस?