MP News: मध्य प्रदेश के अस्पतालों में इन दिनों चूहों की काफी धमाचौकड़ी देखने को मिल रही है. हाल ही में सतना जिला अस्पताल के SNCU से एक वीडियो वायरल हो रहा हैं, जिसमें चूहे मुंह में मंगोड़ी दबाकर उछलते हुए नजर आ रहे हैं. जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ तो लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर तरह-तरह के सवाल करना स्टार्ट कर दिया. बता दें कि जबलपुर के विक्टोरिया हॉस्पिटल के आईसीयू और ऑर्थो वार्ड में चूहों की धमाचौकड़ी का वीडियो वायरल होने के बाद अब सतना से भी एक वीडियो वायरल हुआ है जो जिले कि सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय जिला अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) का बताया जा रहा है. इस वीडियो ने अस्पताल मैनेजमेंट की व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है.
नवजातों की सुरक्षा पर सवाल
बता दें कि वायरल वीडियो दो दिन पुराना है. यह SNCU वही यूनिट है, जहां बीमार नवजात बच्चों को एडमिट किया जाता है. जानकारी के मुताबिक, इस वक्त लगभग 40 नवजात यहां पर भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है. ऐसे में यह चूहों की वायरल वीडियो अस्पताल प्रबंधन की सुरक्षा और स्वच्छता पर गंभीर सवाल खड़ा करती है. इससे मैनेजमेंट नवजातों की जान के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है. बता दें कि इससे पहले इंदौर के MY अस्पताल में चूहे दो नवजातों को कुतर चुके हैं. इससे उनकी जान चली गई. अस्पताल प्रबंधन सिर्फ बातों की लीपापोती करने में लगा रहा. अस्पताल प्रबंधन को जल्द ही इस मामले पर ध्यान देना चाहिए. चूहों का आतंक सिर्फ अस्पताल तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे इंदौर एयरपोर्ट पर एक इंजीनियर को काटने का मामला आया था. इससे इंजीनियर को तुरंत इंजेक्शन लगवाना पड़ा.
लापरवाही की खुली पोल
चूहों के मंगोड़ी खाकर मेडिकल यूनिट के बीच भागते हुए वीडियो से स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खुल चुकी है, जिसमें वह स्वच्छता की बड़ी-बड़ी बातें करता है. वहीं, अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि एसएनसीयू सहित जिला अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में माउस ट्रैप और रैट ट्रैप केज लगाए गए हैं और समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल कराया जाता है. वायरल वीडियो ने यह स्पष्ट कर दिया कि एसएनसीयू के भीतर स्टाफ द्वारा ही खाने की सामग्री लाई जाती है. खाने के टुकड़े इधर-उधर गिरने से चूहों को यहां आने का खुला निमंत्रण मिल रहा है, जो सीधे तौर पर अस्पताल की लापरवाही को उजागर करता है. यदि हॉस्पिटल मैनेजमेंट अभी भी नहीं जागा तो यह जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या स्वास्थ्य विभाग इंदौर जैसी घटना के दोहराए जाने का इंतजार कर रहा है?