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पर्यटकों के लिए खुला चो ला और डोक ला, क्या है Battlefield Tourism?

पिछले कुछ महीनों में, केंद्र और राज्य के अधिकारियों ने, सशस्त्र बलों के समन्वय से, चुनिंदा युद्ध स्थलों, स्मारकों और सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोलने का प्रयास किया है, जिससे देश में बैटलफील्ड टूरिज्म का विकास हो रहा है.

Written By: Shivangi Shukla
Last Updated: December 22, 2025 11:38:19 IST

15 दिसंबर, 2025 को, भारतीय राज्य सिक्किम ने देश की विस्तारित युद्धक्षेत्र पर्यटन पहल के तहत चो ला और डोक ला के उच्च-ऊंचाई वाले दर्रों को पर्यटकों के लिए विनियमित तरीके से औपचारिक रूप से खोल दिया. भारत-चीन सीमा से लगे इन सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले प्रवेश प्रतिबंधित था. 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित ये पर्वतीय दर्रे ऐतिहासिक रूप से विशेष महत्वपूर्ण हैं: चो ला में 1967 में भारत-चीन संघर्ष हुआ था, और डोक ला में 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध देखा गया था. 
ऐसे स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय सैन्य संवेदनशीलता से जुड़े स्थलों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है. पिछले कुछ महीनों में, केंद्र और राज्य के अधिकारियों ने, सशस्त्र बलों के समन्वय से, चुनिंदा युद्ध स्थलों, स्मारकों और सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोलने का प्रयास किया है, जिससे देश में बैटलफील्ड टूरिज्म का विकास हो रहा है. 

बैटलफील्ड टूरिज्म की परिभाषा

यात्री युद्ध से संबंधित जगहों जैसे युद्ध के मैदानों और संग्रहालयों में डिटेल्ड जानकारी प्राप्त करने के लिए जाते हैं. इसके पीछे ऐतिहासिक जिज्ञासा, शहीद परिवार को श्रद्धांजलि देना, और रोमांच व देशभक्ति के साथ टूरिज्म का विकास शामिल है. यह खास तरह का टूरिज्म उन लोगों को पसंद आता है जो ट्रैवेलिंग के साथ-साथ ज्ञान भी प्राप्त करना चाहते हैं. रिसर्चर्स, स्कॉलर्स, स्टूडेंट्स और लेखकों के लिए ऐसे ट्रैवेल डेस्टिनेशन अधिक प्रेरणादायी होते हैं. बैटलफील्ड टूरिज्म का मुख्य उद्देश्य आम तौर पर लोगों को देश के सैन्य इतिहास से परिचित कराना, दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के साधन उत्पन्न करना है.

भारत की बैटलफील्ड विरासत

भारत में बैटलफील्ड टूरिज्म बढ़ने का मुख्य कारण इसकी खास बैटलफील्ड विरासत है. यह विरासत रेगिस्तान से लेकर हिमालय तक, विविध इलाकों में फैली हुई है, जो देशभक्ति की कहानियों को समृद्ध करती है. प्राचीन ऐतिहासिक युद्ध-मैदान जैसे; पानीपत, हल्दीघाटी से लेकर औपनिवेशिक युग की रणभूमियां जैसे प्लासी, बक्सर आदि लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं. इसी तरह आधुनिक संघर्षों में शामिल रणभूमियां कारगिल, रेजांग ला आदि कई प्रसिद्ध बैटलफील्ड ट्रैवेल डेस्टिनेशन हैं. इन जगहों पर दोबारा घटनाओं को दिखाने के लिए किले और बलिदानों का सम्मान करने वाले स्मारक हैं. मुख्य आकर्षणों में कारगिल युद्ध स्मारक (द्रास), लोंगेवाला युद्ध स्मारक (राजस्थान, तनोट माता मंदिर के पास), कोहिमा युद्ध कब्रिस्तान, सियाचीन और गलवान शामिल हैं.

सीमाएं खुलने से बैटलफील्ड टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

जनवरी 2025 में शुरू की गई ‘भारत रणभूमि दर्शन’ पहल, गलवान, सियाचिन, डोकलाम, रेजांग ला, पैंगोंग त्सो, किबिथू और बुम ला पास सहित 77 जगहों को परमिट और गाइड हेतु एक समर्पित ऐप के माध्यम से खोलती है. यह ‘देशभक्ति पर्यटन’ को बढ़ावा देता है, सैन्य वीरता के बारे में शिक्षित करता है, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देता है, और सीमा के पास टूरिज्म से जुड़े व्यवसाय को बढ़ावा देकर पलायन को कम करता है.

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