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जैसे को तैसा कूटनीति, बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ वीजा सेवाएं सस्पेंड की

Bangladesh Suspends Visa Services: नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन ने सोमवार को कांसुलर और वीज़ा सेवाओं को सस्पेंड कर दिया, क्योंकि देश के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद दोनों पक्षों के बीच संबंध तेज़ी से खराब हो गए.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-12-22 21:21:06

Bangladesh Visa Suspension For Indians: जैसे को तैसा जवाब देते हुए, नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन ने सोमवार को कांसुलर और वीज़ा सेवाओं को सस्पेंड कर दिया, क्योंकि देश के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद दोनों पक्षों के बीच संबंध तेज़ी से खराब हो गए. रविवार को, भारत ने बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर चट्टोग्राम में इंडियन वीज़ा एप्लीकेशन सेंटर (IVAC) में वीज़ा सेवाओं को अगले आदेश तक सस्पेंड कर दिया था. यह कदम प्रमुख युवा नेता उस्मान हादी की मौत के बाद हुई हिंसा के बीच उठाया गया, जो पिछले साल के उस विद्रोह के मुख्य चेहरों में से एक थे जिसने शेख हसीना को सत्ता से हटाया था.

बांग्लादेश हाई कमीशन ने क्या बताया?

सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश हाई कमीशन ने कहा कि अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण, नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन से सभी कांसुलर और वीज़ा सेवाएं अगले आदेश तक अस्थायी रूप से सस्पेंड रहेंगी. चट्टोग्राम में भारत का यह कदम बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर में भारतीय सहायक उच्चायोग (AHCI) के बाहर बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के कुछ दिनों बाद आया है.
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राजशाही में इंडियन वीज़ा एप्लीकेशन सेंटर पर “खून-खराबे” की चेतावनी दी, ताकि उनके अनुसार हुए अन्याय का बदला लिया जा सके, और कहा कि जरूरत पड़ने पर वे तलवारें या अन्य हथियार उठाएंगे. इसमें कहा गया है कि AHCI चटगांव में हाल की सुरक्षा घटना के कारण, IVAC चटगांव में भारतीय वीज़ा संचालन 21/12/2025 से अगले आदेश तक सस्पेंड रहेगा.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में उठा था मुद्दा

पिछले हफ्ते, कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने बांग्लादेश में चल रहे संकट पर चेतावनी जारी की, इसे 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद पड़ोसी देश में भारत का सबसे बड़ा रणनीतिक दुःस्वप्न बताया. समिति ने राजनीतिक बदलावों, पीढ़ीगत अलगाव और चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की.

इसने 26 जून को पैनल के सामने एक गैर-सरकारी गवाह की गवाही का हवाला देते हुए संसद में भारत-बांग्लादेश संबंधों पर अपनी रिपोर्ट पेश की. 1971 की चुनौती अस्तित्वगत थी – एक मानवीय संकट और एक नए राष्ट्र का जन्म. आज का खतरा अधिक सूक्ष्म है, लेकिन संभावित रूप से अधिक गंभीर और गहरा है पीढ़ीगत अलगाव, राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव, और भारत से दूर संभावित रणनीतिक पुनर्गठन.

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