Vinod Kumar Shukla Passed Away: मशहूर हिंदी लेखक और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे. 23 दिसंबर 2025, मंगलवार शाम को उनका निधन हो गया. उन्होंने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके बेटे शाश्वत शुक्ल ने उनकी मृत्यु के बारे में जानकारी दी. उनके जाने के बाद देश में शोक की लहर है. वहीं पीएम मोदी ने भी उनकी मृत्यु पर शोक जताया है.
रायपुर के निवास स्थान पर ले जाया जाएगा पार्थिव शरीर
जानकारी के अनुसार, इतिहासकार के बेटे ने पीटीआई से बात करते हुए जानकारी दी कि सांस लेने में तकलीफ होने के कारण शुक्ल को 2 दिसंबर 2025 को रायपुर के AIIMS में लाया गया था.शाम 4:58 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को पहले उनके रायपुर वाले निवास स्थान ले जाया जाएगा. इसके बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके अंतिम संस्कार के बारे में जल्द जानकारी दी जाएगी.
Raipur, Chhattisgarh: The mortal remains of renowned litterateur Vinod Kumar Shukla arrive at his residence. His last rites will be performed tomorrow pic.twitter.com/xmsaApvq1m
— IANS (@ians_india) December 23, 2025
पहले भी खराब हुई थी तबियत
शाश्वत ने बताया कि अक्टूबर में सांस की समस्या के कारण उन्हें रायपुर के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबियत में सुधार के कारण उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. दो दिसंबर को उनकी तबियत फिर से खराब हो गई थी. इसके कारण उन्हें अम्स रायपुर में भर्ती कराया गया. यहां इलाज के दौरान 23 दिसंबर 4:58 बजे उनकी मृत्यु हो गई.
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर उनकी मृत्यु पर शोक जताया. उन्होंने लिखा, ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे. शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति.’
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 23, 2025
नवंबर में मिला था ज्ञानपीठ पुरस्कार
बता दें कि ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’जैसे कई उपन्यासों को लिखने वाले विनोद कुमार शुक्ल को 59 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्हें 21 नवंबर को उनके रायपुर के निवास स्थान पर आयोजित एक समारोह में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था.
नौकर की कमीज पर बनी फिल्म
बता दें कि विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास नौकर की कमीज पर 1999 में मणिक कौल ने एक फिल्म बनाई थी. उस फिल्म का नाम नौकर की कमीज ही रखा था. इस फिल्म को नीदरलैंड में 30 सितंबर 1999 को रिलीज किया गया.