Delhi Metro New Lines Approved: मोदी कैबिनेट की आज अहम बैठक हुई. केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज 5A को मंज़ूरी दे दी, जिसमें 13 स्टेशन होंगे. फैसले के अनुसार, 12,015 करोड़ रुपए की लागत से 16 किलोमीटर लंबी नई लाइन बिछाई जाएगी. इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो नेटवर्क 400 किलोमीटर से ज्यादा हो जाएगा.” इसमें कई बड़े फैसले लिए गए. इसे लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में दिल्ली मेट्रों के विस्तार को मंजूरी दी गई. चीन और अमेरिका के बाद भारत में मेट्रो का सबसे बड़ा नेटवर्क है. देश में मेट्रो की रोजाना औसतन 1.15 करोड़ राइडरशिप है.
मिलेगी भीड़ से राहत
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दिल्ली में 12 मेट्रो लाइने हैं. 6 नए प्रोजेक्ट अंडरकंस्ट्रक्शन हैं. राजधानी में रोज करीब 65 लाख लोग मेट्रो से सफर करते हैं. आज दिल्ली मेट्रों के 5A फेज को मंजूरी मिली है, जिसमें 13 स्टेशन होंगे. इसमें 10 अंडरग्राउंड और 3 स्टेशन एलिवेटेड होंगे. ये मेगा-प्रोजेक्ट 3 साल में पूरा होगा, इसकी लंबाई 16 किलोमीटर होगी. कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, जिन तीन मेट्रो लाइन को मंजूरी मिली है, उनमें रामकृष्ण आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ, एयरोसिटी से टर्मिनल 1 और कालिंदीकुंज से तुगलकाबाद है. इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो नेटवर्क 400 किलोमीटर से ज़्यादा हो जाएगा. इस नई लाइन की मंजूरी के बाद लोगों को भीड़ की आपाधापी से भी कुछ निजात मिलेगी. साथ ही निजी वाहनों में भी कमी की उम्मीद है. यह सरकार का लोगों को नए साल का गिफ्ट बताया जा रहा है.
मेट्रो के विस्तार के मायने और फायदे
केंद्र सरकार का ये फैसला ऐसे वक्त आया जब राजधानी पॉल्यूशन से जूझ रही है. दिल्ली मेट्रो का विस्तार होने से आने वाले समय में प्रदूषण के खिलाफ जंग में काफी मदद मिलने की आशा है. सरकार का मानना है कि इससे हर साल 33 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कि बड़ी राहत वाली बात है. इसके साथ ही दूसरा फायदा ये होगा कि विस्तार के चलते कर्तव्य भवन और केंद्रीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा. इस फेज की सबसे खास बात ये है कि ये कर्तव्य भवन (सेंट्रल विस्टा क्षेत्र) को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेगा. इससे हजारों कर्मचारियों और रोजाना सफर करने वाले लाखों लोगों को फायदा मिलेगा. साथ ही समय और पैसे दोनों की बचत होगी. साथ ही निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी, जिससे प्रदूषण में भारी गिरावट भी देखने को मिलेगी.