Ai Water Consumption: टेक्नोलॉजी के इस युग में AI का यूज दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है. पहले तो AI की वजह से लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, वहीं अब इसके यूज से पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ सकता है. आपको नहीं पता कि जिस सवाल को आप एआई से पूछते हैं उसके पीछे क्या सिस्टम काम कर रहा है. यह हमारे सवाल का जवाब के लिए भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करता है. हम तो बस कीबोर्ड पर अपना सवाल टाइप करते हैं और कुछ ही देर में जवाब हाजिर हो जाता है. AI ने लोगों की कई बड़ी समस्याओं को सरल किया है लेकिन यह कुछ ऐसे निशान भी छोड़ रहा है, जो शायद इंसान को भारी पड़ सकता है. बता दें कि एआई सिर्फ टेक्स्ट तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि यह फोटो और वीडियो को भी कुछ सेकंड में तैयार करके हमें दे देता है. आज मार्केट में कई एआई कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें चैटजीपीटी और गूगल का जेमिनी भी शामिल है.
जेनरेटिव AI आने के बाद टेक सेक्टर के कई एक्सपर्ट ने ये सवाल उठाए कि इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होगा. क्योंकि इसके सर्वर को ठंडा रखने के लिए काफी तादात में पानी की जरूरत होती है. सैम ऑल्टमैन ने अपने लेटेस्ट ब्लॉग में चैटजीपीटी द्वारा खर्च किए जाने वाले पानी और बिजली की जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक, पानी की बात करें तो एक सवाल पर चैटजीपीटी करीब 0.0000085 गैलन पानी खर्च करता है. मतलब इसे अगर सरल भाषा में समझें तो यह एक सवाल के बदले में एक चम्मच के 15वें हिस्से के बराबर पानी की खपत करता है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
नेचर फाइनेंस की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के करीब 45 फीसदी डेटा सेंटर्स ऐसी जगहों पर हैं, जहां पहले से ही पानी की भारी कमी है. इसके अलावा भारत, चीन, स्पेन और जर्मनी जैसी कंट्रियों में यह परेशानी और भी ज्यादा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, एआई अगर 100 शब्दों में कोई प्रॉम्प्ट लिखता है तो लगभग एक बोतल पानी की खपत होती है. आपको चौंक जाएंगे कि अमेरिका में साल 2023 में लगभग 66 अरब लीटर पानी का यूज किया गया.
पानी पर नहीं है नियम
पानी के अधिक खपत को लेकर एक वजह यह भी है कि एआई के डेटा सेंटर को ठंडा रखने के लिए काफी ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. इसी के चलते एआई इंसानों से भी ज्यादा पानी पी रहा है. एक स्टडी में यह पाया गया कि टेक्नोलॉजी कंपनियों के पानी यूज पर अभी तक कोई खास नियम नहीं है. इसलिए टेक कंपनियां यूज किए गए पानी को लेकर गंभीर नहीं हैं. साथ ही इसकी जानकारी भी सांझा नहीं करती हैं. पानी के साथ बिजली की खपत भी एआई काफी ज्यादा मात्रा में करता है. यह एक चिंता का विषय है, जिसके बारे में एक्सपर्ट को सोचना चाहिए.
समाधान पर देना होगा जोर
भारत में तो पहले से ही पानी और बिजली की समस्या बनी हुई है. वहीं, एआई कंपनियां भी ऐसी जगह हैं, जहां पानी की पहले से ही भारी कमी है. इसके समाधान की बात की जाए तो जानकार बताते हैं कि इसके लिए सही जगह का यूज होना चाहिए. साथ ही एआई को ठंडा रखने के लिए पानी की जगह कोई और विकल्प खोजना चाहिए.