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Cambodia Vishnu Statue History: कंबोडिया में तोड़ी गई भगवान विष्णु की मूर्ति का जानें इतिहास, कितनी थी ऊंचाई और क्या है इसका महत्व

Lord Vishnu Statue Destroyed In Cambodia: भारत में इसका कड़ा विरोध हो रहा है तो थाईलैंड और कंबोडिया के सोशल मीडिया यूजर्स भी इस हादसे को लेकर 2 हिस्सों में बंटे नजर आ रहे हैं.

Written By: JP YADAV
Last Updated: December 25, 2025 11:47:07 IST

Lord Vishnu Statue Destroyed In Cambodia:  थाईलैंड और कंबोडिया में जारी टेंशन के बीच भारत के लिए बुरी खबर सामने आई है. 22 दिसंबर, 2025 को थाईलैंड की सेना ने कंबोडिया में जेसीबी की मदद से भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़ डाली. अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ता जा रहा है. भारत ने आधिकारिक तौर पर इस मंदिर के तोड़े जाने पर अपना विरोध जताया है. मंदिर को तोड़े जाने का एक वीडियो भी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे जेसीबी मशीन कुछ ही देर में   थाईलैंड और कंबोडिया बॉर्डर पर बने विष्णु मंदिर को तोड़ दिया जाता है. इस स्टोरी में हम बताएंगे भगवान विष्णु मंदिर के बारे में पूरी जानकारी. 

9 मीटर ऊंची थी मूर्ति

थाईलैंड की सेना द्वारा कंबोडिया में जिस भगवान विष्णु की मूर्ति को तोड़ गया है वह 9 मीटर ऊंची थी. वर्ष 2014 में यह मूर्ति एक चबूतरे पर स्थापित की गई थी. हैरत की बात यह है कि खुद कंबोडियाई सेना ने यह मूर्ति साल 2013 में उस इलाके में लगाई थी, जिसे थाईलैंड अपना क्षेत्र मानता है. अब थाईलैंड की सेना पर ही आरोप लगा है कि उसने मूर्ति को ढहा दिया. मूर्ति की ऊंचाई 30 फीट बताई जा रही है.

बॉर्डर से 100 मीटर अंदर थी मूर्ति

बताया जा रहा है कि भगवान विष्णु की मूर्ति कंबोडिया के प्रेह विहार सीमा प्रांत में बॉर्डर से करीब 100 मीटर दूर थी. वर्ष 2014 में इस मूर्ति को बनाया गया था. विवाद के चलते 22 दिसंबर, 2025 को थाई मिलिट्री के जवानों ने इसे एक एक्सकेवेटर की मदद से गिरा दिया. वीडियो वायरल होने के बाद भारत ने मूर्ति तोड़ने जाने को अपमानजनक हरकत करार दिया है. 

क्यों तोड़ी गई मूर्ति? 

थाईलैंड की सेना ने इस मंदिर को तोड़ने की वजह भी बताई है. थाईलैंड सेना का कहना है कि इस मूर्ति को तोड़ने के पीछे धार्मिक कारण नहीं है. बताया गया है कि यह मामला धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि जमीन के विवाद से जुड़ा है. यह मूर्ति थाईलैंड के उबोन रत्चथानी प्रांत के चोंग आन मा इलाके के पास  लगी थी. यहां पर एक कसीनो भी है. थाईलैंड की सेना का कहना है कि जब उन्होंने इस इलाके पर दोबारा नियंत्रण हासिल किया, तो मूर्ति को हटाना जरूरी हो गया था.  इससे थाईलैंड की संप्रभुता का भी प्रमाण मिलता है. 

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