FSSAI: क्या आप जो रोज़ाना ‘चाय’ पीते हैं, वह सच में असली चाय है? इस सवाल ने अब नया मोड़ ले लिया है, अब बाजार में बिकने वाली हर चीज को यूं ही ‘Tea’ (चाय) नहीं कहा जा सकेगा. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चाय को लेकर सख्त नियम और नए पैरामीटर तय कर दिए हैं.FSSAI के ताज़ा निर्देशों के बाद यह साफ हो गया है कि हर हर्बल या फ्लेवर वाली ड्रिंक को अब ‘Tea’ नहीं कहा जा सकेगा. आखिर कौन-सी ड्रिंक ही ओरिजनल TEA कहलाएगी, FSSAI ने यह नई सीमा क्यों खींची और इसका असर आम उपभोक्ताओं से लेकर कंपनियों तक पर कैसे पड़ेगा, आइए समझते हैं पूरी बात.
आखिर ‘Tea’ किसे कहा जाएगा?
FSSAI के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, Tea वही उत्पाद कहलाएगा जो Camellia sinensis पौधे की पत्तियों से तैयार किया गया हो. इसका मतलब साफ है, ब्लैक टी, ग्रीन टी, कांगड़ा टी जैसी किस्मों को ही अब आधिकारिक तौर पर ‘Tea’ की श्रेणी में माना जाएगा.
चाय के नए पैरामीटर क्या हैं?
FSSAI ने चाय की पहचान के लिए स्पष्ट मानक तय किए हैं, जिनमें शामिल हैं-
- चाय में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल केवल Camellia sinensis होना चाहिए
- किसी अन्य जड़ी-बूटी, मसाले या फूल को मिलाकर बने पेय को ‘Tea’ नहीं कहा जा सकेगा
- लेबलिंग में साफ-साफ बताना होगा कि उत्पाद असली चाय है या कोई हर्बल / इन्फ्यूजन ड्रिंक
- इन नियमों का मकसद उपभोक्ताओं को भ्रम से बचाना है.
अब ‘Herbal Tea’ का क्या होगा?
FSSAI के नए नियमों के बाद Herbal Tea शब्द पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. तुलसी, अदरक, लेमनग्रास, कैमोमाइल या अन्य जड़ी-बूटियों से बनी ड्रिंक को अब ‘Tea’ नहीं कहा जा सकेगा. इन्हें Herbal Infusion, Herbal Beverage या Herbal Drink जैसे नामों से बेचना होगा. यानी नाम बदलना पड़ेगा, लेकिन उत्पाद की बिक्री पर रोक नहीं लगेगी.
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
FSSAI के अनुसार, बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट बिक रहे थे जो चाय नहीं होने के बावजूद ‘Tea’ के नाम से बेचे जा रहे थे. इससे उपभोक्ताओं में भ्रम फैल रहा था. गलत लेबलिंग से स्वास्थ्य और गुणवत्ता से जुड़े सवाल उठ रहे थे. नए नियमों से पारदर्शिता और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
कंपनियों पर क्या पड़ेगा असर?
- चाय कंपनियों को लेबल और पैकेजिंग में बदलाव करना होगा
- हर्बल टी बेचने वाली कंपनियों को नए नाम और कैटेगरी अपनानी होगी
- नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना या कार्रवाई संभव है
FSSAI के नए नियमों के बाद अब चाय की परिभाषा पूरी तरह साफ हो गई है. असली चाय वही होगी जो चाय की पत्तियों से बनी हो, जबकि हर्बल ड्रिंक्स को अलग पहचान मिलेगी. यह फैसला उपभोक्ताओं के हित में माना जा रहा है, जिससे बाजार में भ्रम और गलत दावे कम होंगे.