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Putrada Ekadashi 2025: संतान प्राप्ति के लिए फलदायक है पौष पुत्रदा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त से पूजा विधि और व्रत कथा तक

Putrada Ekadashi 2025: पौष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इसे मुख्य रूप से संतान के लिए माना जाता है. आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में...

Written By: Deepika Pandey
Last Updated: December 27, 2025 16:54:15 IST

Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है. इस व्रत को बहुत ही पवित्र और फलदायी माना गया है. हर महीने में दो एकादशी आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में आती है. हर एकादशी का अपना महत्व होता है. पौष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, जिसे मुख्य रूप से संतान के लिए माना जाता है. इस व्रत को संतान सुख कामना के लिए विशेष माना जाता है. इस साल पुत्रदा एकादशी साल के अंत में पड़ रहा है. इस साल पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर को मनाया जाएगा.

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है व्रत

पौत्र एकादशी संतान प्राप्ति और वंश वृद्धि के लिए फलदायी है. ये व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख, आरोग्य और घर में सुख-समृद्धि आती है. इस व्रत को करने से नि:संतान दंपत्तियों को योग्य और स्वस्थ संतान मिलती है. वंश को आगे बढ़ाने और पारिवारिक सुख-शांति के लिए ये व्रत किया जाता है.

व्रत का शुभ मुहूर्त

इस व्रत की शुरुआत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी. ये व्रत 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे समाप्त होगी. इस कारण ये व्रत इस बार दो दिनों का पड़ रहा है. गृहस्थ लोगों के लिए 30 दिसंबर को व्रत रखना शुभ है. वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोगों को 31 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए. व्रत तोड़ने का शुभ समय 31 दिसंबर दोपहर 1:29 बजे से 3:33 बजे के बीच है. पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर भरणी नक्षत्र और सिद्ध योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं. 

पुत्रदा एकादशी पूजा की विधि

पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी और फल आदि का भोग अर्पित किया जाता है. इसके बाद विष्णु मत्रों का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखना जरूरी है. इसके साथ ही आपको दान-पुण्य करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंदों को कपड़े, धन और भोजन आदि कराना चाहिए.

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

इस व्रत की कहानी में एक राजा और रानी की कहानी बताई गई है, जो पुत्रहीन होते हैं और इसके कारण वे बहुत दुखी रहते हैं. इसमें ऋषि लोमश राजा महीजीत को श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत करने और अपने प्रजाजनों से पुण्य प्राप्त करने के लिए कहते हैं. इस व्रत के करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है.

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