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‘ट्रेड हसबैंड’ कौन है? घर पर रहने वाले पति क्यों बन रहे हैं पुरुष? एक खास ट्रेंड या भारतीय शादियों में बड़ा बदलाव

समय के साथ-साथ लोगों की सोच में भी बदलाव आ रहा है. इन दिनों लोग अपनी पत्नी के करियर को सपोर्ट करने के लिए ट्रेड हसबैंड या हाउस हसबैंड बन रहे हैं, जो एक नया बदलाव है.

Written By: Deepika Pandey
Last Updated: December 28, 2025 12:46:08 IST

Trad Husband: इन दिनों ‘ट्रेड हसबैंड’ शब्द का जिक्र सुनने को मिल रहा है. अब बहुत से लोगों के मन में शंका है कि आखिर ये ट्रेड हसबैंड क्या होता है और ये चलन में क्यों हैं. ये भारतीय पुरुष की भूमिका से कैसे अलग है? इतना ही नहीं लोग ये भी जानना चाहते हैं कि ये पुरानी परंपरा है या नए जमाने की पसंद. इसे समाज स्वीकार करता है या नहीं करता. तो आइए जानते हैं…

बता दें कि ट्रेड हसबैंड को हाउस हस्बैंड के नाम से भी जाना जाता है. ये वे पुरुष होते हैं जो घर-गृहस्थी, बच्चों की परवरिश और पत्नी के करियर को सपोर्ट करने के लिए घर पर रहते हैं और उनकी पत्नियां जॉब कर घर चलाती हैं. हालांकि ये ट्रेंड पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देता है क्योंकि ये बराबरी पर आधारित रिश्तों को सपोर्ट करता है. इसके तहत पुरुष परिवार संभालते हैं. वे भी भावनात्मक और घरेलू कामों में ज़्यादा सक्रिय हो रहे हैं. ये ट्रेंड परिवार व समाज की पुरानी सोच को धीरे-धीरे बदल रहा है. हालांकि ससुराल वाले और समाज शुरू में इसे स्वीकार नहीं कर रहा है लेकिन धीरे-धीरे इसके प्रति स्वीकार्यता बढ़ रही है. इसके तहत आर्थिक योगदान के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियों में भी बराबरी की अपेक्षा होती है.

कौन हैं ट्रेड हसबैंड

बता दें कि ट्रेड हसबैंड पश्चिमी देशों से आया कॉन्सेप्ट है, जहां पुरुष अपनी पत्नियों के करियर को सपोर्ट करने के लिए घर में रहकर पत्नियों की जिम्मेदारियां उठाते हैं और पत्नियां बाहर जाकर काम करती हैं और पैसे कमाती हैं.

पुरानी परंपरा या नई सोच

ये पुरानी परंपरा नहीं है बल्कि नए जमाने की नई सोच और पसंद है. ये समाज में एक आधुनिक बदलाव है, जहां बराबरी और आपसी समझ होती है. इसके तहत पुरुष और महिलाएं दोनों की भूमिकाएं तय नहीं होतीं, वो अपनी सुविधानुसार घर के और बाहर के काम बांट लेते हैं.

भारतीय पुरुष की भूमिका से कैसे अलग?

बता दें कि भारतीय परंपरा के अनुसार, भारतीय पुरुष परिवार का मुखिया होता है. वो कमाने वाला और घर के बाहर की जिम्मेदारियां निभाने वाला होता है. भारतीय पुरुषों को घर के कामों में शामिल होना पसंद नहीं होता. 

वहीं ट्रेड हस्बैंड अपनी पत्नी के करियर को सपोर्ट करने के लिए घर पर रहते हैं और घर परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हैं. वे बच्चों की परवरिश करते हैं और खाना भी बनाते हैं, जो पारंपरिक सोच से बिल्कुल अलग हैं.

इस तरह के दामाद पर ससुराल वालों की प्रतिक्रिया

भारतीय परिवार इस तरह के लोगों को पसंद नहीं करते. शुरुआत में उनके प्रति कठिन प्रतिक्रिया होती है. परिवार वाले उन्हें ताने मारते हैं और कहते हैं कि उन्हें नौकरी करनी चाहिए. हालांकि जब वे घर को सही ढंग से मैनेज होते देखते हैं और लोगों को खुश देखते हैं, तो धीरे-धीरे इसके प्रति उनकी स्वीकार्यता बढ़ने लगती है. 

एक ट्रेंड या बदलाव का इशारा

बता दें कि ये इन दिनों ट्रेंड में है क्योंकि समाज के लिए ये नया है लेकिन ये केवल ट्रेंड नहीं बल्कि बदलाव का इशारा है. ये दिखाता है कि अब आपसी समझ, सम्मान और बराबरी वाली सोच पर रिश्ते टिकते हैं न कि पैसों पर. आने वाले समय में और भी पुरुष हाउस हस्बैंड की भूमिका निभाएंगे. 

‘ट्रैडवाइफ’ से जुड़ा ट्रेंड

आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दिनों चल रहा ट्रेड हसबैंड का ट्रेंड ‘ट्रैडवाइफ’ से जुड़ा है. इसका अर्थ है ट्रेडिशनल वाइफ.इसी का मेल वर्जन है ट्रेड हसबैंड, जो सोशल मीडिया पर छाया हुआ है.

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