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RBI की राहत भरी रिपोर्ट, बैलेंस शीट में सुधार, भारतीय बैंकिग सेक्टर पहले से ज्यादा मजबूत

RBI Report: RBI रिपोर्ट से पता चलता है कि देश के बैंक पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत स्थिति में हैं. बैंकों की बैलेंस शीट में लगातार सुधार हुआ है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बैड लोन दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.

Written By: shristi S
Last Updated: December 29, 2025 20:03:17 IST

RBI Banking Sector Report: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नई रिपोर्ट से बैंकिंग सेक्टर को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि देश के बैंक पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत स्थिति में हैं. बैंकों की बैलेंस शीट में लगातार सुधार हुआ है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बैड लोन दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. इसका सीधा मतलब है कि लोग और कंपनियां अब समय पर अपने लोन चुका रहे हैं, जिससे बैंकों पर दबाव कम हो रहा है.

रिटेल लोन में सुधार

RBI की ‘ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग’ रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफ़ॉर्मिंग एसेट (NPA) रेश्यो सितंबर 2025 तक गिरकर 2.1 प्रतिशत हो गया. मार्च 2025 में यह आंकड़ा 2.2 प्रतिशत था. इसका मतलब है कि हर 100 रुपये के लोन में से अब सिर्फ़ लगभग 2 रुपये ही खराब स्थिति में हैं. यह आंकड़ा बैंकिंग सिस्टम की मज़बूती को साफ़ तौर पर दिखाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे रिटेल लोन सेगमेंट में एसेट क्वालिटी में सुधार हुआ है. हालांकि, कुछ सेक्टर अभी भी दबाव में हैं. उदाहरण के लिए, टीवी, रेफ़्रिजरेटर या इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए दिए गए लोन में बैड लोन का अनुपात अभी भी ज़्यादा है. इंडस्ट्रियल सेक्टर में, लेदर और लेदर प्रोडक्ट्स से जुड़ी कंपनियों को लोन चुकाने में सबसे ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.

पर्सनल लोन पर RBI की सख़्ती का असर

पिछले दो सालों में, बैंकों ने पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे कंजम्पशन-बेस्ड लोन देने में सावधानी बरती है. छोटे पर्सनल लोन तेज़ी से बढ़ने लगे थे, जिसके कारण RBI ने 2023 के आखिर में नियमों को सख़्त कर दिया था. इससे जोखिम भरे लोन पर रोक लगी. बाद में, जब स्थिति में सुधार हुआ, तो RBI ने कुछ नियमों में आंशिक रूप से ढील दी.

मुनाफ़ा बढ़ा, लेकिन धीमी गति से

रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2024-25 के दौरान बैंक डिपॉज़िट और लोन दोनों में अच्छी बढ़ोतरी हुई, हालांकि पिछले साल की तुलना में गति थोड़ी धीमी थी. इंटरेस्ट मार्जिन में गिरावट ने भी बैंकों के मुनाफ़े की ग्रोथ को धीमा कर दिया है. हालांकि, अच्छी खबर यह है कि बैंक एक मजबूत कैपिटल बेस के साथ काम कर रहे हैं, और उनकी लिक्विडिटी की स्थिति रेगुलेटरी जरूरतों से कहीं बेहतर है. RBI जलवायु जोखिमों पर भी कड़ी नज़र रख रहा है.

RBI ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन भविष्य में वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है. इसी को देखते हुए, सेंट्रल बैंक क्लाइमेट रिस्क की सही पहचान करने के लिए एक नया इन्फॉर्मेशन सिस्टम डेवलप कर रहा है. RBI का मानना ​​है कि क्लाइमेट फाइनेंस सिर्फ़ एक पॉलिसी का मामला नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी है, और इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स के सहयोग की जरूरत है.

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