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अजय त्रिवेदी, लखनऊ:
BJP Created New History In UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Elections) में बंपर जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने 37 साल पुराना रिकार्ड तोड़ दिया है। प्रदेश में 1985 के बाद से किसी पार्टी को लगातार दो बार सत्ता में आने का मौका नहीं मिला था और इस मिथक को योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में भाजपा ने तोड़ दिया है। अब से 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी करते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है।
यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूर्णानंद (Dr Sampoornanand), चंद्रभानु गुप्त (Chandrabhanu Gupta), हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemvati Nandan Bahuguna), नारायण दत्त तिवारी (Narayan Dutt Tiwari), मुलायम सिंह (Mulayam Singh) और मायावती (Mayawati) भी हासिल नहीं कर सकीं। यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला।
मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की सीएम बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है। पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वैसे भी देश के राजनेताओं की सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले नंबर पर हैं।
प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और मिथक धराशायी किया है। प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तो नोएडा जाने से परहेज करते रहे। नोएडा में उद्घाटन या शिलान्यास के कार्यक्रम को लेकर वहां जाने की जरूरत पड़ी, तो अखिलेश यादव ने नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया।
इसके विपरीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए। उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर और भाजपा को बहुमत से साथ फिर सत्ता में वापसी करते हुए इस मिथक को तोड़ दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने जाने को लेकर भी नेताओं का मिथक तोडा है। पहले अयोध्या जाकर भी तमाम नेता राम मंदिर जाने से परहेज करते थे।
इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि नोएडा का यह मिथक वर्ष 1988 से शुरू हुआ था। वर्ष 1988 में राजनीति में सक्रिय नेता नोएडा जाने से बचने लगे, क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। तब वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वे नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई। नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए।
कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वे कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं करा पाए। इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया। गौरतलब है कि इस बार उत्तर प्रदेश के अपने चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने दो सौ से ज्यादा जनसभाएं और रोड शो किए। एक दिन में सात सात जनसभाएं की।
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