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What Is Phantom Vibration Syndrome?
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
मोबाइल फोन आजकल जरूरत बन चुका है। हर व्यक्ति अपने आप को मोबाइल फोन के साथ सुरक्षित महसूस करता है। पर ऐसे में कुछ अजीबो गरीब बीमारियां भी पनप रही हैं जिनका रिश्ता सिर्फ मोबाइल फोन से ही है। इस बीमारी में आपका फोन वाइब्रेट नहीं होगा, लेकिन बार-बार आपको ऐसा एहसास होगा कि आपका फोन या आसपास कोई दूसरा फोन वाइब्रेट हो रहा है। मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लगभग नब्बे प्रतिशत लोगों को अक्सर कपड़ों में सरसराहट या मांसपेशियों में ऐंठन होने से बार-बार ऐसा लगता है जैसे उनका या उनके आसपास का कोई मोबाइल वाइब्रेट हो रहा हो। वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं होता चेक करने के बाद ये अहसास होता है कि ये उनकी गलतफहमी थी। इस बीमारी को नाम दिया गया है फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम।
बता दें कि ब्रेन में रि-वायरिंग होती है। व्यक्ति अगर बार-बार अपना फोन इस्तेमाल करता है और लगातार मोबाइल वाइब्रेशन मोड में रखता है, तब भी उसे ऐसी परेशानी हो सकती है। फोन पर बहुत ज्यादा डिपेंडेंसी होने की वजह से ऐसा होता है। ये एक इमर्जिंग साइकेट्रिक कंडीशन है। जैसे किसी ऐसी चीज को महसूस करना, जो असल में होती नहीं है। जिन्हें किसी भी तरह की चिंता या स्ट्रेस हो। जिन्हें गैजेट से ज्यादा लगाव होता है। किसी भी चीज में ध्यान न लगा पाना। चिढ़चिढ़ापन, हमेशा अपने गैजेट के बारे में सोचते रहना। छोटी-छोटी आवाजें भी सुनाई देती हैं (जैसे घड़ी, फ्रिज की आवाज या वाइब्रेशन सुनाई देना)।
बिंज वाचिंग से बचें। लगातार मोबाइल पर समय बिताने से हटकर दूसरे विकल्प चुनें। मोबाइल को वाइब्रेशन से बदलकर रिंगिंग मोड में रखें। जब आप वर्कआउट करते हैं और गेम खेलते हैं, तो आपका दिमाग मोबाइल से हटता है। एंटरटेनमेंट के लिए फोन के बजाय फैमिली-फ्रेंड्स और आउटडोर एक्टिविटी से जुड़ें। अगर आपको लग रहा है कि परेशानी लगातार बढ़ रही है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें।
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