India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के राजनीतिक पाले में बदलाव के साथ ही बिहार में सत्ता का स्वरूप ही नहीं बल्कि गठबंधन का समीकरण भी बदल गया है। नीतीश के महागठबंधन में रहते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को मजबूत स्तंभ माना जाता था, लेकिन जेडीयू की एंट्री से पूरा खेल बदल गया है। जेडीयू और बीजेपी अपनी जीती हुई लोकसभा सीटें छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जिसके कारण चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा को सीटें पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं जीतन राम मांझी की लोकसभा सीट जीतने की चाहत भी खटाई में है। इस वजह से एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है।
बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर बड़ी समस्या है। राज्य में 40 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 39 सीटें एनडीए के पास हैं। बीजेपी ने 2024 के चुनाव में राज्य की सभी 40 सीटें जीतने की योजना बनाई है, जिसके लिए नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी की पटकथा लिखी गई थी। नीतीश के आने से बिहार में एनडीए का राजनीतिक समीकरण जरूर मजबूत हुआ है, लेकिन साथ ही कुशवाहा-चिराग-मांझी की राजनीतिक उम्मीदों पर ग्रहण लगता दिख रहा है। माना जा रहा है कि इसी वजह से चिराग पासवान ने बिहार में पीएम मोदी की दोनों रैलियों से दूरी बनाए रखी, लेकिन गुरुवार देर शाम दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी, जेडीयू और अविभाजित एलजेपी एनडीए गठबंधन का हिस्सा थे। बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि एलजेपी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने अपनी सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि जेडीयू 16 सीटों पर सफल रही थी। एलजेपी अपने कोटे की सभी 6 सीटें जीतने में सफल रही। इस बार एनडीए गठबंधन में एलजेपी के दोनों गुटों के अलावा बीजेपी, जेडीयू, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम शामिल हैं। इस तरह एनडीए का कुनबा तो बढ़ गया है, लेकिन सभी अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते सीटों का बंटवारा अटक गया है।
चाचा-भतीजे के बीच हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी लड़ाई है, जहां से दोनों लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। फिलहाल हाजीपुर से पशुपति पारस सांसद हैं, लेकिन चिराग पासवान भी अपने दिवंगत पिता राम विलास पासवान की विरासत का हवाला देकर हाजीपुर सीट पर अपना दावा ठोक रहे हैं। बीजेपी दोनों नेताओं के बीच सुलह का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। वहीं, कुशवाहा नीतीश से बगावत कर एनडीए में शामिल हो गए थे, उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर तस्वीर साफ नहीं है। माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाना चाहती है जबकि वह तीन सीटों की मांग कर रहे हैं।
बिहार में मोदी के कार्यक्रम में शरीक नहीं थे। इतना ही नहीं बीजेपी के ‘मोदी का परिवार’ अभियान में भी चिराग शामिल नहीं हुए जबकि खुद को मोदी का हनुमान बताया गया था। बिहार में प्रवेश के अंदरूनी हिस्से को लेकर स्टॉक जारी है। समझा जाता है कि नीतीश की वापसी के बाद से ही चिराग पासवान नाराज़ हो गए हैं। बीजेपी ने बिहार में एलजेपी को 6 रिजॉर्ट का ऑफर दिया है, जिसमें उन्हें अपने चाचा पशुपति पारस के साथ बांटना होगा।
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