India News (इंडिया न्यूज), Mahila Aarakshan : 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया। बता दें नए संसद में भवन में पेश होने वाला पहला बिल ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश कर किया। ऐसे में येस कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों सदनों मे ये बिल आसानी से पारित हो जाएगा कियोंकि दोनों ही सदनों में बीजेपी बहुमत है। ऐसे में इसे लेकर फिल्म जगत की कुछ नामी जानी महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। आइए जानते हैं किसने क्या कहा?
“नए संसद का आज पहला सत्र था और कितनी बड़ी बात है कि आज महिला आरक्षण बिल पेश हुआ। इससे यह दिख रहा है कि भारत कितनी तरक्की करेगा अगर हम लक्ष्मी से शुरुआत करें…मैंने बचपन से ही राजनीति में आने के बारे में सोचा था… देखते हैं अगर यह बिल पास हो गया तो आप मुझे 2026 में देखेंगे”
“यह एक अद्भुत विचार है, यह सब हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी और इस सरकार और महिलाओं के उत्थान के प्रति उनकी (पीएम मोदी) विचारशीलता के कारण है नए संसद भवन का पहला सत्र जो हुआ है वह महिला सशक्तिकरण एवं महिला उत्थान को समर्पित किया गया… प्रधानमंत्री आज किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकते थे लेकिन उन्होंने महिला को प्राथमिकता देते हुए महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया”
“अभी यह बस पहल है। आगे बहुत सारे बिल पास होने बाकी हैं। महिलाओं का इतना समर्थन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करना चाहूंगी।”
“19 सितंबर ऐतिहासिक बन गया है क्योंकि नई संसद में पहला बिल- महिला आरक्षण बिल आज पेश किया गया और मुझे उम्मीद है कि यह जल्द ही पारित हो जाएगा। फिलहाल हम सिर्फ 81 (महिला) सांसद हैं, इस बिल के बाद हमारी संख्या 181 के आसपास हो जाएगी।”
महिला आरक्षण बिल एक ऐसा बिल हैं जिसे यदि लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर दिया गया तो लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। आसान भाषा में कहें तो महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। वर्तमान स्थिती का उदाहरण लिया जाए तो इस समय लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है जिसमें महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। यानी 543 में से महिलाओं की कुल संख्या केवल 78 हैं। ऐसे में यदि ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है तो महिलाओं के लिए 33 फीसदी सिटें आरक्षीत हो जाएंगी और तब महिलाओं की संख्या 181 होना अनिवार्य हो जाएगा। हालांकि ये बिल 15 साल के लिए ही लाया जा रहा है। बता दें राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 12 से 13 प्रतिशत ही है।