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India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra CM Oath Taking Ceremony: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध खत्म हो चूका है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने आज (5 दिसंबर) महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लिया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ साथ अजित पवार ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। शपथ समारोह से पहले शिंदे खूब चर्चाओं में रहें। लाख कोशिशों के बाद भी वह सिएम नहीं बन सकें। महाराष्ट्र में सियासी तूफान का केंद्र रहे एकनाथ शिंदे शिवसेना के इतिहास में सबसे बड़ी बगावत का चेहरा बन गए हैं। तो चलिए जानते हैं कौन हैं एकनाथ शिंदे।
एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था। सतारा उनका गृह जिला है। शिंदे पढ़ाई के लिए ठाणे आए थे। उन्होंने 11वीं तक यहीं पढ़ाई की। इसके बाद वे वागले एस्टेट इलाके में रहते हुए ऑटो रिक्शा चलाने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई। महज 18 साल की उम्र में उनका राजनीतिक करियर शुरू हो गया और शिंदे एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगे।
करीब डेढ़ दशक तक शिवसेना कार्यकर्ता के तौर पर काम करने के बाद शिंदे 1997 में चुनावी राजनीति में उतरे। 1997 के ठाणे नगर निगम चुनाव में आनंद दिघे ने शिंदे को पार्षद का टिकट दिया। शिंदे अपना पहला ही चुनाव जीतने में सफल रहे। वर्ष 2001 में वे नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। इसके बाद वर्ष 2002 में वे दूसरी बार फिर निगम पार्षद बने।
वर्ष 2001 के बाद शिंदे का कद बढ़ना शुरू हुआ। जब उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे का निधन हो गया। इसके बाद ठाणे की राजनीति पर शिंदे की पकड़ मजबूत होने लगी। वर्ष 2005 में नारायण राणे के पार्टी छोड़ने के बाद शिवसेना में शिंदे का कद बढ़ता गया। जब राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी तो शिंदे ठाकरे परिवार के करीब आ गए।
वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने शिंदे को ठाणे विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां भी शिंदे ने जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शिंदे को 37 हजार से अधिक मतों से हराया। इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में शिंदे ठाणे जिले की कोपरी पचपाखड़ी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। शिंदे देवेंद्र फडणवीस सरकार में राज्य के लोक निर्माण मंत्री थे।
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे। चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में खुद आदित्य ठाकरे ने शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा और उन्हें शिवसेना विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद उनके समर्थकों ने ठाणे में भावी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पोस्टर भी लगाए। हालांकि कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में उद्धव ठाकरे का नाम आगे आया। इसके बाद शिंदे बैकफुट पर आ गए। उद्धव सरकार में शिंदे राज्य के शहरी विकास मंत्री होने के साथ-साथ ठाणे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं।
बताया जाता है कि शिंदे कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन से खुश नहीं थे। इसके बाद उनके और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। फरवरी 2022 में एकनाथ शिंदे के जन्मदिन पर भी उनके समर्थकों ने भावी मुख्यमंत्री के पोस्टर लगाए थे।
यह उस समय की बात है जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे। इस दौरान उनका परिवार सतारा गया हुआ था। यहां एक हादसे में उन्होंने अपने 11 वर्षीय बेटे दीपेश और 7 वर्षीय बेटी शुभदा को खो दिया। हादसा नाव चलाते समय हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए।
उस समय शिंदे के दूसरे बेटे श्रीकांत की उम्र महज 13 साल थी। श्रीकांत फिलहाल कल्याण लोकसभा सीट से शिवसेना के सांसद हैं। इस घटना के बाद शिंदे काफी टूट गए थे। उन्होंने राजनीति से भी दूरी बना ली थी। इस दौरान भी आनंद दिघे ने उनका साथ दिया और उन्हें सार्वजनिक जीवन में वापस लाया।
2019 के विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे द्वारा दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ कुल 18 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें आग या विस्फोटक सामग्री से नुकसान पहुंचाना, अवैध रूप से एकत्रित भीड़ का हिस्सा बनना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करना जैसे आरोप शामिल हैं। इस हलफनामे के अनुसार शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से अधिक की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ से अधिक की चल संपत्ति और 9.45 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति घोषित की गई।
चुनावी हलफनामे में शिंदे ने खुद को ठेकेदार और व्यवसायी बताया है। उनकी पत्नी भी निर्माण कार्य करती हैं। शिंदे ने विधायक के तौर पर मिलने वाले वेतन, मकानों से मिलने वाले किराए और ब्याज से होने वाली आय को अपनी आय का स्रोत बताया है।
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